सागर : पूर्व सरपंच की 16 वर्षीय बेटी ने फांसी लगाकर दी जान, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
सागर (मध्य प्रदेश)। सागर जिले के बंडा थाना क्षेत्र के ग्राम जगथर में रविवार रात एक दर्दनाक घटना सामने आई। पूर्व सरपंच भगवान सिंह लोधी की 16 वर्षीय बेटी प्रीति लोधी ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किशोरी की मौत की खबर ने पूरे गांव और आसपास के इलाके को हिला कर रख दिया।
घटना के बाद मचा हड़कंप
सूत्रों के अनुसार, रविवार देर रात जब परिजनों ने प्रीति को फांसी पर लटका देखा तो उनके होश उड़ गए। आनन-फानन में पुलिस को सूचना दी गई। सोमवार सुबह मृतका के मामा, जो मालथौन के रहने वाले हैं, बंडा पहुंचे और पोस्टमॉर्टम के बाद शाम करीब 7 बजे परिजनों के साथ शव लेकर सागर रोड पहुंचे। यहां उन्होंने गांधी मूर्ति के पास शव रखकर चक्काजाम कर दिया।
परिजनों का आरोप: पुलिस ने की लापरवाही
परिजनों का कहना है कि पुलिस ने पहले भी आत्महत्या के मामलों को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने बताया कि करीब आठ महीने पहले मृतका की मां ने भी फांसी लगाकर जान दी थी, लेकिन उस मामले की जांच आज तक पूरी नहीं हो सकी। अब परिवार में यह तीसरी आत्महत्या की घटना है, जिससे घरवाले गुस्से और सदमे में हैं।
आक्रोशित परिजनों ने ऐलान किया कि जब तक पुलिस दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करती, वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
प्रशासन और पुलिस का हस्तक्षेप
मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। एसडीओपी प्रदीप वाल्मीकि, नायब तहसीलदार विजयकांत त्रिपाठी और थाना प्रभारी अंजली उदैनिया ने पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर हालात को संभाला।
एसडीओपी ने मृतका के मामा और अन्य परिजनों से चर्चा की। उन्होंने निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया। अधिकारियों के आश्वासन के बाद परिजन शांत हुए और चक्काजाम हटाया। इसके बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए गांव ले जाया गया।
लगातार आत्महत्याओं से दहशत
गांव में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। एक ही परिवार में तीन आत्महत्याओं ने लोगों को गहरी चिंता में डाल दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि मामले की सही तरीके से जांच होनी चाहिए ताकि हकीकत सामने आ सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि प्रशासन और समाज दोनों के लिए चिंता का विषय है। लगातार आत्महत्या की घटनाएं सवाल उठाती हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और कब तक जांच में देरी होती रहेगी।