दिल्ली में रहने वाली तीन नाबालिग बच्चियां माता-पिता की डांट से इतनी दुखी हो गईं कि घर छोड़कर बिना किसी को बताए ट्रेन में सवार हो गईं। इन्हें अंदाज़ा तक नहीं था कि ट्रेन उन्हें कहाँ ले जाएगी। सफर करते-करते ये भोपाल पहुंच गईं जहां रेलवे स्टेशन पर उनकी सुध RPF ने ली। भोपाल रेलवे स्टेशन पर जब ये तीनों लड़कियां डरी-सहमी हालत में अकेली बैठी थीं, तभी प्लेटफॉर्म नंबर-1 पर गश्त कर रहे एएसआई राघवेंद्र सिंह की नज़र इन पर पड़ी। हालात समझते ही उन्होंने तुरंत महिला आरक्षक उमा पटेल को मौके पर बुलाया। उमा पटेल ने बच्चियों से बात कर उनका भरोसा जीता और उन्हें ढांढस बंधाया। रेलवे सुरक्षा बल ने मंडल रेल प्रबंधक देवाशीष त्रिपाठी के निर्देशन में चल रहे ‘ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते’ के तहत तीनों बच्चियों को सुरक्षित अपनी अभिरक्षा में लिया। यह अभियान खास तौर से ऐसे बच्चों को बचाने के लिए चलाया जाता है जो रास्ता भटक जाते हैं या किसी वजह से घर से भाग निकलते हैं। बातचीत में बच्चियों ने खुलासा किया कि वे माता-पिता की डांट से बेहद दुखी होकर बिना किसी को बताए ही घर छोड़कर चल पड़ी थीं। उन्हें नहीं मालूम था कि ट्रेन उन्हें किस शहर में उतारेगी। भोपाल रेलवे स्टेशन पर RPF टीम ने जब उनका हाल जाना तो तुरंत उनके परिवार वालों से संपर्क साधा। पुलिस ने बच्चियों द्वारा बताए गए मोबाइल नंबरों पर उनके माता-पिता को सूचना दी। परिजन बच्चियों को लेने भोपाल रवाना हो चुके हैं। तीनों बच्चियों को फिलहाल गौरवी सखी सेंटर में सुरक्षित रखा गया है, ताकि वे पूरी तरह महफूज़ रहें।
महिला आरक्षक उमा पटेल और प्रभारी आरक्षक राकेश कुमार ने बच्चियों का मेडिकल परीक्षण भी करवाया, ताकि उनकी सेहत की जांच हो सके। जब तक माता-पिता भोपाल पहुंचते हैं, तब तक सखी सेंटर में काउंसलिंग की व्यवस्था भी की जा रही है ताकि बच्चियों को मानसिक सहारा दिया जा सके।
रेलवे पुलिस के इस त्वरित और मानवीय प्रयास की हर ओर सराहना की जा रही है। ‘ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते’ जैसे अभियान बच्चों की सुरक्षा में कितने कारगर साबित हो रहे हैं, यह घटना इसका उदाहरण है। परिजन के आने पर बच्चियों को पूरी औपचारिकता के साथ सौंप दिया जाएगा।