सागर का श्रेयांश यादव : 10 साल की उम्र से खुद बना रहे गणेश प्रतिमा, इस बार संत प्रेमानंद महाराज के स्वरूप में विराजे गणपति
सागर। गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर जहां लोग बाजार से गणपति की प्रतिमा लाकर घरों में स्थापना कर रहे हैं, वहीं शहर के कृष्णगंज वार्ड निवासी 22 वर्षीय श्रेयांश यादव हर साल अपनी कला के जरिए गणेश बप्पा को एक अलग ही स्वरूप में घर लाते हैं। श्रेयांश पेशे से अभी एआई इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उनकी रुचि मूर्तिकला में बचपन से ही रही है।
10 साल की उम्र से शुरू हुआ सफर
श्रेयांश ने बताया कि जब वह सिर्फ 10 साल के थे, तब मोहल्ले में विराजमान गणेश प्रतिमाओं को देखकर उनके मन में भी मूर्ति बनाने की जिज्ञासा जगी। उन्होंने पहली बार घर पर ही मिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाई और उसे स्थापित किया। उसी दिन से उन्होंने तय कर लिया कि हर साल अपने हाथों से ही गणपति बप्पा को घर लाएंगे।
हर साल हटकर थीम पर बनाते हैं प्रतिमा
श्रेयांश केवल साधारण प्रतिमा नहीं बनाते, बल्कि हर साल किसी न किसी खास थीम पर प्रतिमा तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले बाहुबली फिल्म से प्रेरित होकर उन्होंने गणेश जी को उसी थीम में गढ़ा था। वहीं इस साल उन्होंने संत प्रेमानंद महाराज के स्वरूप में गणेश प्रतिमा तैयार की है।
मूर्तिकारों से भी लिया अनुभव
श्रेयांश बताते हैं कि मूर्तिकला में निपुणता पाने के लिए उन्होंने शहर के स्थानीय मूर्तिकारों से भी कला सीखी। हालांकि वे साल में सिर्फ एक ही प्रतिमा बनाते हैं, लेकिन उसका इंतजार पूरे परिवार और मोहल्ले को रहता है। उनकी बनाई प्रतिमा न केवल घर की शोभा बढ़ाती है, बल्कि आसपास के लोग भी उनके हुनर की सराहना करते हैं।
कला और पढ़ाई का संतुलन
जहां एक ओर श्रेयांश दिन-रात एआई इंजीनियरिंग की पढ़ाई में जुटे हैं, वहीं मूर्तिकला उनका ऐसा शौक है जिसे वे कभी छोड़ना नहीं चाहते। उनका मानना है कि पढ़ाई और कला एक-दूसरे के पूरक हैं और इंसान को संतुलित जीवन जीने के लिए दोनों की जरूरत होती है।
मोहल्ले में बनी मिसाल
गणेश चतुर्थी पर उनकी बनाई प्रतिमा देखने के लिए आसपास के लोग भी उत्साहित रहते हैं। श्रेयांश की यह अद्भुत कला न केवल उनकी प्रतिभा को दर्शाती है, बल्कि समाज के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है कि शौक और करियर दोनों को साथ लेकर आगे बढ़ा जा सकता है।