सागर। प्रशासन की लापरवाही का ताज़ा उदाहरण मंगलवार को जनसुनवाई में देखने को मिला, जब गिरवर की रहने वाली दिव्यांग महिला पार्वती कुर्मी घंटों इंतज़ार के बाद भी खाली हाथ लौटने को मजबूर हो गई।
पार्वती कुर्मी, जो दोनों पैरों से दिव्यांग हैं, मंगलवार को कलेक्टर जनसुनवाई में इस उम्मीद से पहुंचीं थीं कि उन्हें नई व्हीलचेयर मिल जाएगी। उनका कहना है कि उन्हें साल 2016 में प्रशासन की ओर से एक व्हीलचेयर दी गई थी, लेकिन अब वह टूट-फूट चुकी है। चलने-फिरने में लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए उन्होंने अधिकारियों से नई व्हीलचेयर की मांग की।
अधिकारियों ने उन्हें दिव्यांग कक्ष क्रमांक 38 में बैठने को कहा और आश्वासन दिया कि कलेक्टर यहीं पर उनसे मुलाकात करेंगे। पार्वती चार घंटे तक धैर्यपूर्वक इंतजार करती रहीं, लेकिन दोपहर 2 बजे के बाद सभी अधिकारी वहां से चले गए।
निराश पार्वती का कहना है –
“मैं बड़ी उम्मीद लेकर आई थी। चार घंटे बैठकर इंतजार किया, लेकिन अंत में अधिकारियों ने कह दिया कि जब कैंप लगेगा तब व्हीलचेयर मिलेगी। न तो उन्होंने कोई तारीख बताई और न ही जानकारी दी कि कैंप कहां और कब लगेगा। यह कैसा प्रशासन है, जो एक दिव्यांग महिला को घंटों इंतजार कराने के बाद भी खाली हाथ लौटा देता है।”
इस पूरे मामले ने प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ सरकार दिव्यांगों के हित में योजनाओं और सुविधाओं का दावा करती है, वहीं दूसरी तरफ ज़मीनी हकीकत यह है कि ज़रूरतमंदों को महीनों नहीं, बल्कि सालों तक अपने अधिकारों के लिए भटकना पड़ रहा है।