सागर। विठ्ठल नगर वार्ड स्थित देव श्री जानकी रमण मंदिर ट्रस्ट की करीब तीन एकड़ जमीन की कथित अवैध बिक्री को लेकर अब विवाद गहराता जा रहा है। आम आदमी पार्टी (आप) के जिला मीडिया प्रभारी लक्ष्मीकांत राज ने आरोप लगाया है कि पार्षद की मिलीभगत से ट्रस्ट की कीमती भूमि बेची जा रही है, जबकि जिला प्रशासन पूरी तरह मौन है।
खसरा नंबर की जमीन पर फसल कटाई, फिर भी असिंचित घोषित
लक्ष्मीकांत राज के अनुसार, यह भूमि खसरा नंबर 7, 34, 35/1 और 37 में दर्ज है, जिसका कुल रकबा लगभग 2.95 एकड़ है। उन्होंने बताया कि पार्षद द्वारा तहसील कार्यालय में जमा किए गए सहमति पत्र में इस भूमि को असिंचित (सूखी) बताया गया है, जबकि मार्च माह में इसी भूमि पर फसल काटी गई है। वहीं, संबंधित पटवारी ने अपने प्रतिवेदन में इसे सिंचित भूमि बताया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भूमि के स्वरूप को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भ्रम या हेरफेर की स्थिति है।
ट्रस्ट की जमीन पहले भी बिक चुकी, अब कॉलोनी बनाने की तैयारी
आप नेता राज का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब ट्रस्ट की संपत्ति को बेचा गया हो। पूर्व में भी ट्रस्ट संचालकों ने कई बार जमीनें बेची हैं। ताजा मामला विठ्ठल नगर वार्ड स्थित श्मशान घाट के पास की चार एकड़ भूमि से जुड़ा है, जिसे जून 2022 में मंदिर के महंत द्वारा कुछ व्यक्तियों को बेचा गया था। इस जमीन पर अब अवैध कॉलोनी काटने की तैयारी चल रही है।
लक्ष्मीकांत राज ने बताया कि उन्होंने इस मामले में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर आपत्ति दर्ज कराई है और ट्रस्ट की संपत्ति की खरीद-फरोख्त को तत्काल रोकने की मांग की है। उनका कहना है कि यह जमीन मंदिर ट्रस्ट के संचालन के लिए आरक्षित है, न कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति के रूप में बेचने के लिए।
प्रशासन कार्रवाई नहीं करेगा तो आप करेगी आंदोलन
राज ने चेतावनी दी कि अगर जिला प्रशासन ने इस प्रकरण में शीघ्र और ठोस कार्रवाई नहीं की, तो आम आदमी पार्टी उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी। उन्होंने कहा कि मंदिर ट्रस्ट की जमीन को निजी लाभ के लिए बेचना न केवल धार्मिक आस्था के साथ धोखा है बल्कि यह सार्वजनिक संपत्ति की खुली लूट है।
ट्रस्ट और प्रशासन की भूमिका संदिग्ध बताई
लक्ष्मीकांत राज का आरोप है कि इस जमीन की बिक्री में ट्रस्ट के प्रमुख करंदा सारस गोस्वामी और बल्द सुनील गोस्वामी की भूमिका संदिग्ध है। वार्डवासियों के अनुसार, ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारियों ने भी कभी इस भूमि की बिक्री पर कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं की और न ही किसी अखबार या सार्वजनिक माध्यम से सूचना जारी की।
उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी कीमती जमीन रातों-रात किसकी अनुमति से बेची गई, इसका जवाब कोई देने को तैयार नहीं है। उन्होंने मांग की कि न केवल ट्रस्ट की भूमिका बल्कि पटवारी और संबंधित अधिकारियों की जांच भी अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए।
स्थानीय नागरिकों में आक्रोश
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह भूमि वर्षों से मंदिर के संरक्षण में रही है और गांव के लोग इसे धार्मिक स्थल से जुड़ी संपत्ति मानते हैं। ऐसे में यदि इसे बेचा गया है तो यह धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी गंभीर मामला है। लोग प्रशासन से पारदर्शी जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
देव श्री जानकी रमण मंदिर ट्रस्ट की जमीन बिक्री का मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। जहां आम आदमी पार्टी इस प्रकरण को भ्रष्टाचार और साठगांठ का उदाहरण बता रही है, वहीं प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। आने वाले दिनों में यह विवाद सागर में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।








