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खाद संकट से किसान बेहाल, रवि फसल की बोवनी पर संकट के बादल

खाद संकट से किसान बेहाल, ...

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खाद संकट से किसान बेहाल, रवि फसल की बोवनी पर संकट के बादल

मालथौन। रवि फसल की बोवनी का समय करीब आते ही किसानों की परेशानियाँ बढ़ गई हैं। इस समय सबसे बड़ी समस्या खाद की कमी की है। क्षेत्र के किसान यूरिया और डीएपी खाद के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं, लेकिन पिछले एक महीने से न तो सहकारी समिति के गोदामों में और न ही निजी दुकानों पर यह खाद उपलब्ध है।

अभी हाल ही में खरीफ की फसलें अतिवृष्टि की मार झेल चुकी हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सोयाबीन और मक्का की बची-खुची फसल को भी खाद की आवश्यकता है, लेकिन यहाँ भी यूरिया उपलब्ध न होने के कारण किसानों की चिंताएँ और गहरी हो गई हैं।

स्थानीय किसानों का कहना है कि अगर समय पर खाद उपलब्ध नहीं कराया गया, तो रवि फसल की बोवनी पर सीधा असर पड़ेगा और उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। किसान पहले ही नुकसान से उबरने के लिए कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं और अब खाद की अनुपलब्धता उनके लिए नई मुसीबत बन रही है।

डबल लॉक केंद्र मालथौन में भी पिछले एक माह से यूरिया और डीएपी का स्टॉक नहीं पहुंचा है। किसान रोज़ाना यहाँ चक्कर लगाते हैं, लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ता है।

कृषक कार्तिक जैन बेसरा बताते हैं कि वे मटर की बोवनी की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन गोदाम पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है। उनका कहना है कि यह तो अभी शुरुआत है, अगर तुरंत व्यवस्था नहीं हुई तो स्थिति और गंभीर हो जाएगी। वहीं, मूरत सिंह लोधी (नोठा निवासी) का कहना है कि खाद न मिलने से खेत खाली पड़े हैं और बोवनी का सही समय निकलता जा रहा है। इसी तरह इंद्रपाल राय अमारी ने बताया कि मटर की फसल के लिए यह उपयुक्त समय है, लेकिन खाद की अनुपलब्धता से किसान मजबूर हैं।

किसानों का साफ कहना है कि शासन-प्रशासन जल्द से जल्द खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करे, अन्यथा बोवनी में देरी होने से उत्पादन पर बड़ा असर पड़ेगा। अगर समय रहते खाद नहीं पहुंची, तो किसान न केवल आर्थिक संकट में और फंसेंगे, बल्कि क्षेत्र की कृषि व्यवस्था भी प्रभावित होगी।

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हमारे बारे में योगेश दत्त तिवारी पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं और मीडिया की दुनिया में एक विश्वसनीय और सशक्त आवाज के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। अपने समर्पण, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने पत्रकारिता में एक मजबूत स्थान बनाया है। पिछले 15 वर्षों से वे प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र 'देशबंधु' में संपादक के रूप में कार्यरत हैं। इस भूमिका में रहते हुए उन्होंने समाज के ज्वलंत मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है और पत्रकारिता के उच्चतम मानकों को बनाए रखा है। उनकी लेखनी न सिर्फ तथ्यपरक होती है, बल्कि सामाजिक चेतना को भी जागृत करती है। योगेश दत्त तिवारी का उद्देश्य सच्ची, निष्पक्ष और जनहितकारी पत्रकारिता को बढ़ावा देना है। उन्होंने हमेशा युवाओं को जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए प्रेरित किया है और पत्रकारिता को सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम माना है। उनकी संपादकीय दृष्टि, विश्लेषणात्मक क्षमता और निर्भीक पत्रकारिता समाज के लिए प्रेरणास्रोत रही है।
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