सागर। मध्यप्रदेश के सागर शहर को अब तक अपेक्षाकृत सुरक्षित और कम अपराध वाला इलाका माना जाता रहा है। शहर की शांत छवि और पुलिस की तत्परता के उदाहरण भी अक्सर सामने आते हैं। कई बार सागर पुलिस ने खोए हुए बैग, गुम हुए आभूषण और सामान को तुरंत ढूंढकर पीड़ितों तक पहुँचाया है। लेकिन हाल ही में जिस तरह चोरी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, उसने पुलिस की कार्यप्रणाली और शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चोरी के मामलों पर पुलिस की नाकामी
शहर में हो रही चोरियों को लेकर स्थानीय लोग असमंजस में हैं। एक ओर पुलिस सीसीटीवी कैमरों की मदद से गुमशुदा सामान खोज निकालती है, वहीं दूसरी ओर चोरी के मामलों में चोर कैमरों में कैद होने के बावजूद गिरफ्त से बाहर रहते हैं। यह स्थिति लोगों के मन में संदेह पैदा कर रही है कि कहीं चोरों को पुलिस का संरक्षण तो प्राप्त नहीं, या फिर कार्रवाई जानबूझकर धीमी क्यों है?
नया बाजार बना चोरी का गढ़
कुछ दिन पहले शहर के नए बाजार क्षेत्र में एक के बाद एक चोरी की घटनाएं हुईं। व्यापारियों ने लगातार कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी। आखिरकार, एक चोर को व्यापारियों ने खुद पकड़कर पुलिस के हवाले किया। इस घटना के बाद व्यापारियों का गुस्सा और आक्रोश साफ झलकने लगा है।
देवरी में नशे का जाल
सिर्फ सागर ही नहीं, बल्कि जिले के देवरी क्षेत्र में भी स्थिति चिंताजनक है। यहां स्मैक और अन्य नशीले पदार्थों का कारोबार तेजी से फैल रहा है। नशे की गिरफ्त में आ चुके युवा जब नशा नहीं जुटा पाते, तो चोरी और लूट जैसे अपराधों को अंजाम देने लगते हैं। इससे न केवल कानून-व्यवस्था प्रभावित हो रही है, बल्कि समाज में असुरक्षा की भावना भी गहराती जा रही है।
जनता में बढ़ रही बेचैनी
लगातार बढ़ते अपराधों के बीच लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब पुलिस गुमशुदा मोबाइल और गहनों तक को इतनी आसानी से ढूंढ सकती है, तो फिर चोरों को पकड़ने में इतनी नाकामी क्यों? शहरवासियों का मानना है कि अगर इसी तरह चोरी और नशे का ग्राफ बढ़ता रहा, तो सागर की पहचान सुरक्षित शहर की बजाय अपराध प्रभावित शहर” के रूप में बनने लगेगी।
अब देखना होगा कि पुलिस प्रशासन इन घटनाओं को लेकर कितनी गंभीरता दिखाता है और क्या आने वाले दिनों में अपराधियों पर लगाम कसने के ठोस कदम उठाए जाते हैं।
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