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सागर : थाने की सीमा विवाद में फंसी पुलिस: बीना में युवक का शव 20 घंटे तक ट्रैक पर पड़ा रहा, दर्जनों ट्रेनें गुजर गईं

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सागर : थाने की सीमा विवाद में फंसी पुलिस: बीना में युवक का शव 20 घंटे तक ट्रैक पर पड़ा रहा, दर्जनों ट्रेनें गुजर गईं

सागर। बीना में मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला बीना में सामने आया, जहां एक युवक का शव करीब 20 घंटे तक रेलवे ट्रैक पर पड़ा रहा और पुलिस थाने की सीमा को लेकर बहस करती रही। इस दौरान दर्जनों ट्रेनें उस शव के ऊपर से गुजरती रहीं, लेकिन किसी ने उसे हटाने की जहमत तक नहीं उठाई।

मृतक की पहचान 28 वर्षीय राहुल अहिरवार निवासी नई बस्ती, इंदिरा गांधी वार्ड के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार राहुल ने बुधवार सुबह पहले शराब के साथ एसिड पीकर जान देने की कोशिश की थी। परिजन समय रहते उसे अस्पताल ले गए, जहां इलाज के बाद उसकी जान बच गई। लेकिन अस्पताल से निकलने के बाद वह सीधे मालखेड़ी स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर पहुंचा और शाम करीब 5 बजे उसने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली।

हैरानी की बात यह रही कि बुधवार शाम हुई इस घटना के बाद गुरुवार दोपहर करीब 1 बजे तक शव ट्रैक पर पड़ा रहा। इतने लंबे समय तक न तो जीआरपी और न ही सिटी पुलिस ने शव को हटाया। दोनों यह तय करने में उलझी रहीं कि घटनास्थल किस थाना क्षेत्र में आता है। सीमा विवाद की इस जद्दोजहद में इंसानियत कहीं खो गई और मृतक का शव ट्रेन दर ट्रेन रौंदा जाता रहा।

गुरुवार दोपहर जब मृतक के परिजन घटनास्थल पर पहुंचे, तब जाकर सिटी पुलिस मौके पर पहुंची और शव को ऑटो रिक्शा से सिविल अस्पताल भेजा गया। पोस्टमॉर्टम के बाद दोपहर ढाई बजे शव परिजनों को सौंपा गया।

इस मामले में जीआरपी थाना प्रभारी वीबीएस परिहार का कहना है कि घटनास्थल सिटी पुलिस क्षेत्र में आता है और उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई थी। वहीं, सिटी थाना प्रभारी अनूप यादव ने बताया कि स्टेशन से लिखित सूचना देर से मिली, हालांकि सुबह फोन पर जानकारी दी गई थी।

परिजन ने पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर समय रहते कार्रवाई की जाती तो शव का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार हो सकता था। मृतक के चाचा वीर सिंह अहिरवार ने बताया कि राहुल की शादी चार साल पहले हुई थी और उसका दो साल का बेटा है। वह मजदूरी करता था और शराब की लत के कारण पत्नी घर छोड़कर चली गई थी। इसके बाद उसकी शराबखोरी और बढ़ गई थी, जिससे परेशान होकर उसने यह कदम उठा लिया।

यह मामला न सिर्फ पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है बल्कि इंसानियत के उस दर्दनाक पहलू को भी उजागर करता है, जहां सीमा विवाद के चक्कर में 20 घंटे तक एक शव उपेक्षा का शिकार होता रहा।

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