सागर। मध्यप्रदेश में आपातकालीन सेवा डायल-112 को दो दिन पहले ही नए अंदाज में शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूरे प्रदेश में इस सेवा का शुभारंभ करते हुए 1200 वाहन पुलिस थानों को उपलब्ध कराए हैं। इनका उद्देश्य है – आपराधिक घटनाओं में त्वरित कार्रवाई, घायलों को अस्पताल तक पहुंचाना और आरोपियों को थाने तक लाना। सागर जिले को इस योजना के तहत 36 वाहन मिले हैं, लेकिन सेवा शुरू होते ही यह गंभीर आरोपों और विवादों में फंस गई है।
पैसे लेकर पदस्थापना तय करने का आरोप
शुक्रवार दोपहर डायल-112 के कई पायलट अचानक एसपी ऑफिस पहुंच गए और ज्ञापन सौंपकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। पायलटों का कहना है कि उनसे मनमुताबिक लोकेशन पर पदस्थापना दिलाने के लिए मोटी रकम की डिमांड की गई। जिन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया, उनकी लोकेशन मनमाने तरीके से बदल दी गई।
पायलट रंजीत दुबे का आरोप
पायलट रंजीत दुबे ने बताया कि उनका चयन डायल-112 में हुआ है। लेकिन गोपालगंज थाने में पदस्थ पायलट बसंत मोनू तिवारी ने उनसे ₹40,000 की मांग की। उसने कहा कि “यह राशि सागर डीएस सर के लिए है, अगर पैसे दे दोगे तो तुम्हें मनचाही लोकेशन मिल जाएगी।”
रंजीत का कहना है कि उन्होंने पैसे देने से साफ इंकार कर दिया, जिसके बाद उनकी पोस्टिंग 60 किलोमीटर दूर नरयावली कर दी गई, जबकि वे सुरखी क्षेत्र के निवासी हैं।
राजेश उपाध्याय का बयान
इसी तरह पायलट राजेश उपाध्याय ने बताया कि भोपाल से एचआर द्वारा भेजी गई सूची में उनकी लोकेशन मोतीनगर थाना तय की गई थी। वे गाड़ी लेकर वहां पहुंच भी गए और आमद दर्ज करा दी। लेकिन शाम तक सूची बदल गई और उनका नाम ही हटा दिया गया।
राजेश ने आरोप लगाया कि बसंत मोनू तिवारी ने उनसे ₹15,000 की मांग की थी। पैसे न देने पर उनकी पदस्थापना ही रद्द कर दी गई।
वीरेंद्र लोधी की व्यथा
बंडा के रहने वाले पायलट वीरेंद्र लोधी ने भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनकी लोकेशन बंडा 112 में थी लेकिन अचानक उसे बदलकर बीना कर दिया गया, जो उनके घर से 130 किलोमीटर दूर है। वीरेंद्र का कहना है कि उनसे भी ₹30,000 की डिमांड की गई थी। उन्होंने पैसे देने से मना कर दिया, जिसके बाद उनकी लोकेशन बदल दी गई।
सेवा की साख पर उठे सवाल
डायल-112 सेवा को प्रदेश सरकार ने जनसुरक्षा की रीढ़ बताते हुए लॉन्च किया था। लेकिन सागर जिले में पदस्थापना में पैसों के खेल के आरोप लगते ही इस सेवा की साख पर सवाल उठने लगे हैं। अब देखना यह होगा कि पुलिस प्रशासन इन गंभीर शिकायतों पर क्या कदम उठाता है।