होम देश / विदेश मध्यप्रदेश राजनीति धर्म/अध्यात्म ऑटोमोबाइल सरकारी योजना खेल समाचार
By
On:

सागर। मालथौन में किसानों की खाद के लिए रातभर जद्दोजहद, सुबह भी निराश लौटे कई अन्नदाता

सागर। मालथौन में किसानों की ...

[post_dates]

संपादक

Published on:

whatsapp

सागर। मालथौन में किसानों की खाद के लिए रातभर जद्दोजहद, सुबह भी निराश लौटे कई अन्नदाता

सागर : मालथौन के किसानों की हालत एक बार फिर सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रही है। केंद्र और राज्य सरकार जहां किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करती हैं, वहीं हकीकत यह है कि किसानों को अपनी फसल के लिए जरूरी खाद पाने के लिए भी रात-रात भर गोदामों के बाहर डेरा डालना पड़ रहा है। शुक्रवार को मालथौन में डीएपी खाद वितरण के दौरान भारी अव्यवस्था देखने को मिली। कई किसान पूरी रात लाइन में लगे रहे, लेकिन सुबह होने तक आधे से ज्यादा किसान खाली हाथ घर लौटने को मजबूर हो गए।

रातभर गोदाम के बाहर किसानों का डेरा

गुरुवार शाम को जैसे ही यह खबर फैली कि पुराने कृषि उपज मंडी स्थित डबल लॉक गोदाम पर खाद वितरण होना है, किसानों की भीड़ वहां जुटने लगी। बताया गया कि करीब 60 टन डीएपी खाद वितरण के लिए आया था। उम्मीद में किसानों ने शाम से ही दरी और बिस्तर बिछाकर गोदाम के बाहर डेरा जमा लिया। रात होते-होते 200 से ज्यादा किसान वहां पहुंच गए।

किसानों ने पूरी रात नींद त्यागकर इंतजार किया, ताकि सुबह सबसे पहले खाद मिल सके। सुबह होते-होते भीड़ और बढ़ गई। महिलाओं समेत किसान 18 घंटे से भी ज्यादा समय तक लाइन में डटे रहे। फिर भी कई लोगों को एक बोरी भी खाद नहीं मिल सका। किसान चंद्रपाल, जसवंत, नरेंद्र, पर्वत सिंह लोधी और हनमत सिंह ठाकुर ने बताया कि पूरी रात ठहरने के बावजूद उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।

वितरण व्यवस्था में अव्यवस्था

सुबह जब खाद वितरण शुरू हुआ तो सिस्टम पूरी तरह बिगड़ गया। कहीं एक बोरी खाद दी जा रही थी, तो कहीं दो बोरी। इस असमानता से किसानों में आक्रोश फैल गया।

किसान रामकुमार दांगी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “मैं गुरुवार शाम से लाइन में था। पर्ची मिलने के बाद भी खाद नहीं मिला। जब शिकायत की तो अधिकारी सुनने को तैयार ही नहीं थे। पैसे भी खर्च हुए और खाद भी नहीं मिला।”

महिला किसानों की भी हालत अलग नहीं रही। भीड़ के बीच उनके लिए कोई अलग व्यवस्था नहीं होने से कई महिलाएं भी निराश होकर लौट गईं।

तकनीकी खामी बनी सिरदर्द

खाद वितरण में लगे किसानों को मशीन की खराबी का भी सामना करना पड़ा। कई किसानों ने बताया कि बायोमैट्रिक मशीन उनकी फिंगरप्रिंट पहचान नहीं कर पाई, जिसके चलते उन्हें खाद नहीं मिल सका। किसान मनोज कुशवाहा, शैलेन्द्र सिंह, राजेन्द्र लोधी और रामपाल लोधी ने कहा कि “हम पूरी रात लाइन में खड़े रहे, लेकिन जब नंबर आया तो मशीन फिंगर नहीं पहचान पाई और हमें खाली हाथ लौटना पड़ा। इसमें हमारी क्या गलती है ?

प्रशासन की सफाई

लगातार बढ़ती भीड़ और किसानों की नाराजगी को देखते हुए दोपहर करीब 3 बजे एसडीएम मनोज चौरसिया मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि “घबराने की जरूरत नहीं है। अगले 3-4 दिनों तक लगातार खाद की आपूर्ति होगी और सभी किसानों को खाद मिल जाएगा।”

हालांकि, मौके पर मौजूद किसानों का कहना था कि वास्तविक स्थिति प्रशासन के दावों से बिल्कुल अलग रही।

किसान और सरकार के दावों में विरोधाभास

मालथौन की यह घटना बताती है कि किसानों की वास्तविक समस्याएं कितनी गहरी हैं। सरकारें भले ही योजनाओं और घोषणाओं में किसानों को मजबूत बनाने का दावा करती हों, लेकिन जमीन पर हकीकत यह है कि अन्नदाता को अपनी जरूरत की खाद के लिए भी घंटों नहीं, बल्कि पूरी-पूरी रातें सड़कों और गोदामों पर बितानी पड़ रही हैं।

अन्नदाता की यह दुर्दशा न केवल खाद वितरण व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कृषि व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले किसानों को आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

Loading

Join our WhatsApp Group
संपादक

हमारे बारे में योगेश दत्त तिवारी पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं और मीडिया की दुनिया में एक विश्वसनीय और सशक्त आवाज के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। अपने समर्पण, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने पत्रकारिता में एक मजबूत स्थान बनाया है। पिछले 15 वर्षों से वे प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र 'देशबंधु' में संपादक के रूप में कार्यरत हैं। इस भूमिका में रहते हुए उन्होंने समाज के ज्वलंत मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है और पत्रकारिता के उच्चतम मानकों को बनाए रखा है। उनकी लेखनी न सिर्फ तथ्यपरक होती है, बल्कि सामाजिक चेतना को भी जागृत करती है। योगेश दत्त तिवारी का उद्देश्य सच्ची, निष्पक्ष और जनहितकारी पत्रकारिता को बढ़ावा देना है। उन्होंने हमेशा युवाओं को जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए प्रेरित किया है और पत्रकारिता को सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम माना है। उनकी संपादकीय दृष्टि, विश्लेषणात्मक क्षमता और निर्भीक पत्रकारिता समाज के लिए प्रेरणास्रोत रही है।
प्रमुख खबरें
View All
error: RNVLive Content is protected !!