Sagar News : विशेष सशस्त्र बल में आरक्षक भर्ती के दौरान फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाने वाले आरोपी को अदालत ने दोषी मानते हुए तीन साल की सश्रम कैद और दो हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश प्रशांत सक्सेना की अदालत ने सुनाया। मामले की पैरवी लोक अभियोजक दीपक भंडारी ने की।
कैसे हुआ खुलासा ?
मामला वर्ष 2017 का है, जब आरोपी सुमित गड़रिया ने SAF में आरक्षक पद के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। शारीरिक परीक्षा और चयन प्रक्रिया में सफल होने के बाद उसकी नियुक्ति 10वीं बटालियन सागर में हो गई। नियुक्ति के बाद शिकायतकर्ता जी.एस. बघेल ने पुलिस मुख्यालय, भोपाल में शिकायत दर्ज कराई कि सुमित ने नौकरी पाने के लिए जाली जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया है।
जांच में सामने आया सच
शिकायत की जांच सहायक सेनानी इंद्रसिंह परस्ते ने की। जांच के दौरान पाया गया कि सुमित ने खुद को भिंड जिले का निवासी और जाटव अनुसूचित जाति का सदस्य बताकर प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। जबकि हकीकत यह थी कि वह उत्तर प्रदेश के इटावा जिले का रहने वाला है और गड़रिया जाति, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में आती है, से संबंध रखता है।
यह भी सामने आया कि सुमित ने भिंड जिले का फर्जी पता लगाकर वहां से नकली जाति प्रमाण पत्र बनवाया। उसके पिता श्याम सिंह ने भी अदालत में स्वीकार किया कि सुमित गड़रिया जाति से ताल्लुक रखता है और OBC वर्ग में आता है।
कोर्ट की कार्रवाई और फैसला
जांच रिपोर्ट के आधार पर मकरोनिया थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया और पुलिस ने चार्जशीट अदालत में प्रस्तुत की। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में सभी दस्तावेज और साक्ष्य पेश किए। इन्हीं सबूतों के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया।
शनिवार को आए फैसले में आरोपी सुमित गड़रिया को तीन साल का सश्रम कारावास और दो हजार रुपये का अर्थदंड भुगतने की सजा सुनाई गई।
यह फैसला उन मामलों के लिए महत्वपूर्ण मिसाल माना जा रहा है, जिनमें सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया जाता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में कोई भी अभ्यर्थी गलत तरीके से भर्ती प्रक्रिया का दुरुपयोग न कर सके।
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