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सागर में डीएपी खाद के लिए मची भगदड़: महिला कृषक घायल, प्रशासन बेबस

मालथौन (सागर)। कृषि सत्र की ...

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मालथौन (सागर)। कृषि सत्र की शुरुआत के साथ ही एक बार फिर किसानों को खाद के लिए संघर्ष झेलना पड़ रहा है। बुधवार को मालथौन की नई मंडी में डीएपी खाद वितरण के दौरान ऐसी स्थिति बनी कि भीड़ में एक महिला कृषक और एक युवक की हालत बिगड़ गई। दोनों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। घटना ने सरकार के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनमें कहा गया था कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है।

आधी रात से लाइन में किसान

जानकारी के अनुसार, मालथौन क्षेत्र में करीब एक महीने बाद डबल लॉक से 600 बोरी डीएपी खाद की खेप पहुंची थी। इस खबर के फैलते ही किसानों की भीड़ रात से ही मंडी के बाहर जमा हो गई। सुबह होते-होते हजारों किसान टोकन पाने के लिए कतारों में लग गए। तेज धूप और धक्का-मुक्की के बीच माहौल अफरा-तफरी में बदल गया। पुलिस बल को भीड़ को नियंत्रित करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी।कई किसान भूखे-प्यासे लाइन में खड़े रहे। कुछ तो ऐसे भी थे जो पानी पीने के लिए बाहर निकले और वापस लौटने तक उनका नंबर गायब हो चुका था। घंटों लाइन में खड़े रहने वालों में कई बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल थीं।

भीड़ और बदइंतजामी से बिगड़ा हाल

लाइन में धक्का-मुक्की के दौरान एक महिला और एक युवक बेहोश होकर गिर पड़े, जिन्हें मौके से अस्पताल पहुंचाया गया। किसानों का कहना है कि यह सब प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है।
मंडी में मात्र 600 बोरी खाद उपलब्ध थी जबकि दो हजार से अधिक किसान लाइन में लगे हुए थे। यह स्थिति ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ जैसी बन चुकी थी।

किसान बोले – दावा कुछ, हकीकत कुछ और

किसानों महेश, राजेंद्र, जंडेल सिंह, आशीष सेन, सुमन पटेल, जग्वेंद्र अहिरवार, कल्याण सिंह यादव, भगवान सिंह और मीरा यादव ने बताया कि वे आधी रात से ही लाइन में लगे हैं, लेकिन सुबह तक उन्हें टोकन तक नहीं मिल पाया।
किसानों ने कहा कि सरकार दोगुनी आय की बात करती है, लेकिन जब समय पर खाद ही नहीं मिले तो खेती कैसे होगी। पहले से ही फसलों के दाम नहीं मिल रहे और अब खाद संकट ने स्थिति और बिगाड़ दी है।

फिंगर प्रिंट मशीन ने बढ़ाई परेशानी

कई किसानों को तकनीकी गड़बड़ी के चलते और भी मुश्किल झेलनी पड़ी। देवेंद्र पिता मकुंदी अहिरवार और जग्वेंद्र अहिरवार ने बताया कि छह घंटे इंतजार के बाद जब उनका नंबर आया, तो फिंगर प्रिंट मशीन ने अंगूठा नहीं पहचाना। नतीजा यह हुआ कि सारी मशक्कत बेकार चली गई और वे खाली हाथ लौटने को मजबूर हुए।

प्रशासन की व्यवस्था नाकाम

खाद वितरण के लिए नई मंडी में दो जगह टोकन वितरण केंद्र और पुरानी मंडी में गोदाम से बोरियों की आपूर्ति की व्यवस्था की गई थी, लेकिन भीड़ और अव्यवस्थाओं के आगे सब बेअसर साबित हुए।
लोगों का कहना है कि खाद वितरण की सुचारू व्यवस्था न होने से किसानों को आर्थिक और मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा है।मालथौन का यह नजारा सरकार के खाद प्रबंधन सिस्टम की पोल खोलता है—जहां किसान आज भी अपनी जरूरत की खाद के लिए रातभर कतार में खड़े रहने को मजबूर हैं, और वक्त पर बीज बोने का सपना अधूरा रह जाता है।

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हमारे बारे में योगेश दत्त तिवारी पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं और मीडिया की दुनिया में एक विश्वसनीय और सशक्त आवाज के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। अपने समर्पण, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने पत्रकारिता में एक मजबूत स्थान बनाया है। पिछले 15 वर्षों से वे प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र 'देशबंधु' में संपादक के रूप में कार्यरत हैं। इस भूमिका में रहते हुए उन्होंने समाज के ज्वलंत मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है और पत्रकारिता के उच्चतम मानकों को बनाए रखा है। उनकी लेखनी न सिर्फ तथ्यपरक होती है, बल्कि सामाजिक चेतना को भी जागृत करती है। योगेश दत्त तिवारी का उद्देश्य सच्ची, निष्पक्ष और जनहितकारी पत्रकारिता को बढ़ावा देना है। उन्होंने हमेशा युवाओं को जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए प्रेरित किया है और पत्रकारिता को सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम माना है। उनकी संपादकीय दृष्टि, विश्लेषणात्मक क्षमता और निर्भीक पत्रकारिता समाज के लिए प्रेरणास्रोत रही है।
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