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हाईकोर्ट के फैसले से फिर खुले सैफ अली खान की पुश्तैनी जायदाद के दरवाज़े, अब ट्रायल कोर्ट में होगी सुनवाई

भोपाल रियासत के आखिरी नवाब ...

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भोपाल रियासत के आखिरी नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की पुश्तैनी जायदाद को लेकर लंबे वक्त से चल रहा कानूनी झगड़ा एक बार फिर सुर्खियों में है। इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में बड़ा फैसला सुनाते हुए 14 फरवरी 2000 को निचली अदालत द्वारा दिया गया निर्णय रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इसे त्रुटिपूर्ण मानते हुए पूरा मामला फिर से सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट को वापस भेज दिया है।

इस केस में नवाब के वंशज यसीर सुल्तान और फैज़ा सुल्तान ने दावा किया है कि नवाब हमीदुल्ला खान की निजी संपत्ति पर सिर्फ एक उत्तराधिकारी का नहीं, बल्कि सभी असली वारिसों का हक बनता है। दोनों ही याचिकाकर्ता नासिर मिर्जा के वंशज हैं, जो नवाब की छोटी बेगम से पैदा हुए थे। उनका कहना है कि जिस तरह भारत सरकार ने नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान को पूरी संपत्ति का इकलौता वारिस मान लिया, वह गलत है। यसीर और फैज़ा का तर्क है कि नवाब की जायदाद सिर्फ गद्दी की नहीं, बल्कि उनकी व्यक्तिगत संपत्ति थी और इसका बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत होना चाहिए था।

गौरतलब है कि नवाब हमीदुल्ला खान की बड़ी बेगम साजिदा सुल्तान को केंद्र सरकार ने 1962 में एक अधिसूचना जारी कर अधिकारिक रूप से अगला शासक घोषित किया था। उन्हीं साजिदा सुल्तान के बेटे थे नवाब मंसूर अली खान पटौदी, जो भारतीय क्रिकेट के दिग्गज कप्तान रहे। मंसूर अली खान पटौदी के निधन के बाद अब उनकी विरासत में सैफ अली खान, शर्मिला टैगोर, सोहा अली खान और सबा सुल्तान हैं।

इन सभी ने कोर्ट में अपनी तरफ से दलील दी कि भारत में भोपाल रियासत के विलय के वक्त जो संधि हुई थी, उसमें साफ तौर पर लिखा गया था कि नवाब की सारी संपत्तियां उत्तराधिकार में अगले शासक को ही मिलेंगी।

ट्रायल कोर्ट ने पहले इस तर्क को सही मानते हुए यसीर और फैज़ा की याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि उस समय जिस पुराने केस को आधार बनाया गया था, उसे तो सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में पलट दिया था। जस्टिस संजय द्विवेदी की बेंच ने कहा कि निचली अदालत ने कानून की ताजा स्थिति पर गौर किए बिना ही फैसला सुनाया, इसलिए वह टिक नहीं सकता।

अब यह ऐतिहासिक संपत्ति विवाद एक बार फिर ट्रायल कोर्ट में नए सिरे से चलेगा। अदालत तय करेगी कि नवाब की जायदाद पर सिर्फ पटौदी खानदान का ही अधिकार रहेगा या फिर बाकी वारिसों का भी हिस्सा बनता है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को साफ हिदायत दी है कि वह एक साल के भीतर इस मामले का निपटारा करे। ऐसे में आने वाले महीनों में यह राजघराने की संपत्ति का झगड़ा फिर चर्चा में रहने वाला है।

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मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
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