सागर कलेक्ट्रेट में अनोखा विरोध : दिव्यांग युवक जमीन पर लेट गया, बोला– डॉक्टर सर्टिफिकेट के नाम पर मांग रहे पैसे
सागर कलेक्ट्रेट में मंगलवार की दोपहर उस वक्त अलग ही नजारा देखने को मिला जब जनसुनवाई के दौरान एक दिव्यांग युवक अचानक जमीन पर लेट गया। वहां मौजूद लोग और अधिकारी पहले तो चौंके, फिर सभी की नजरें उसी पर टिक गईं। युवक का अंदाज ही कुछ ऐसा था—जमीन पर लेटकर उसने बड़ी बेबसी के साथ कहा, “साहब… डॉक्टर सर्टिफिकेट नहीं बना रहे, ऊपर से पैसों की मांग कर रहे हैं।”
दिव्यांग की फरियाद
मामला बंडा तहसील के खजरा गांव का है। अर्जुन सिंह लोधी नामक यह दिव्यांग युवक चलने-फिरने में सक्षम नहीं है और उसे इलेक्ट्रॉनिक ट्राईसाइकिल की जरूरत है। इसके लिए उसे सरकारी नियमों के तहत मेडिकल सर्टिफिकेट चाहिए था। अर्जुन का आरोप है कि जब वह संबंधित डॉक्टर के पास सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचा तो डॉक्टर ने खुले शब्दों में पैसे की मांग कर दी। इतना ही नहीं, डॉक्टर ने यहां तक कह दिया—“मैं भी पैसे देकर डॉक्टर बना हूं, बिना पैसे कुछ नहीं होगा।”
कलेक्ट्रेट में अफरा-तफरी
अर्जुन की यह फरियाद जैसे ही जनसुनवाई में गूंजी, माहौल अचानक बदल गया। जमीन पर लेटे युवक के चारों ओर भीड़ जमा हो गई और अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। एक पल के लिए लगा मानो जनसुनवाई का मंच ही अर्जुन की पीड़ा सुनने और देखने का गवाह बन गया हो।
अधिकारियों ने दिलाया भरोसा
जमीन पर लेटे अर्जुन ने अपनी पूरी व्यथा अधिकारियों के सामने रखी। उसकी बातें सुनने के बाद अधिकारियों ने मामले की जांच कराने का भरोसा दिलाया और यथासंभव मदद का आश्वासन भी दिया।
नजारा जिसने सबको सोचने पर मजबूर किया
जनसुनवाई का यह वाकया वहां मौजूद लोगों के लिए भी चौंकाने वाला रहा। आमतौर पर लोग अपनी समस्याएं कागज पर लिखकर या मौखिक रूप से रखते हैं, लेकिन अर्जुन का यह विरोध जताने का तरीका सबका ध्यान खींच गया। हर कोई यही कह रहा था कि अगर सच में डॉक्टर ऐसा कर रहे हैं, तो यह गरीब और दिव्यांगों के साथ नाइंसाफी है।
इस पूरे घटनाक्रम ने न सिर्फ अफसरों बल्कि आम नागरिकों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर गरीब और मजबूर अपनी आवाज उठाने के लिए इस तरह की नौबत तक क्यों पहुंच जाते हैं।