मुरैना। मुरैना जिले के दिमनी थाना क्षेत्र के सिधारे का पूरा गांव में गुरुवार सुबह एक दर्दनाक घटना सामने आई। यहां 45 वर्षीय अशोक माहौर का शव गांव के बाहर एक नीम के पेड़ पर फांसी के फंदे से लटका मिला। घटना की खबर फैलते ही पूरे गांव में सनसनी फैल गई और लोग मौके पर जमा हो गए।
परिवार पर थे गंभीर आरोप, तनाव में थी स्थिति
मृतक अशोक माहौर के भाई राजेंद्र सिंह ने बताया कि गांव के ही वाल्मीकि समाज के एक परिवार की बहू साधना वाल्मीकि (उम्र 21 वर्ष) अपने मायके से लापता हो गई थी। साधना भिंड जिले के नयागांव सगरा बेहड़ की रहने वाली थी और 1 नवंबर से गायब थी। उसके ससुर मूलचंद वाल्मीकि और परिवार ने इस घटना के लिए अशोक के बेटे आकाश माहौर को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि उसने ही साधना को भगाया है।
आरोप लगने के बाद से ही आकाश भी घर से गायब है। इसी को लेकर वाल्मीकि परिवार लगातार अशोक पर दबाव बना रहा था। राजेंद्र सिंह के अनुसार, मूलचंद और उसके परिवार के लोग पिछले तीन-चार दिनों से अशोक को धमकी दे रहे थे कि अगर बहू को वापस नहीं लाया गया तो वे उसके पूरे परिवार को खत्म कर देंगे।
सदमे में की आत्महत्या, पुलिस देर से पहुंची
परिजनों का कहना है कि इन लगातार मिल रही धमकियों से अशोक मानसिक रूप से टूट गया था। बुधवार की शाम वह घर से यह कहकर निकला था कि वह खेत देखने जा रहा है। सुबह करीब पांच बजे एक ग्रामीण ने उसे नीम के पेड़ से लटका हुआ देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दी।
सूचना दिमनी थाने और डायल 112 दोनों को दी गई थी, लेकिन गांव वालों के मुताबिक करीब दो घंटे तक कोई पुलिसकर्मी मौके पर नहीं पहुंचा। आखिरकार डायल 112 की एक टीम मौके पर आई, जिसमें केवल एक आरक्षक मौजूद था। उसी ने ग्रामीणों की मदद से शव को फंदे से उतारा।
ग्रामीणों ने खुद उठाया शव भेजने का खर्च
पुलिस की देरी से नाराज ग्रामीणों ने खुद आपसी सहयोग से एक गाड़ी किराए पर ली और शव को अस्पताल पहुंचाया ताकि पोस्टमार्टम कराया जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिस समय पर पहुंच जाती तो स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था।
जांच के बाद ही स्पष्ट होंगे हालात
फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अशोक की आत्महत्या के पीछे पारिवारिक दबाव और धमकियों को प्रमुख कारण माना जा रहा है। पुलिस साधना और आकाश दोनों की तलाश कर रही है ताकि पूरे मामले की सच्चाई सामने आ सके।
यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती सामाजिक तनाव और पुलिस की लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।








