होम देश / विदेश मध्यप्रदेश राजनीति धर्म/अध्यात्म ऑटोमोबाइल सरकारी योजना खेल समाचार
By
On:

Yogesh Dutt Tiwari

Published on:

कांग्रेस की ‘जयहिंद सभा’ में मंच पर नहीं बैठे दिग्विजय सिंह, फेसबुक पोस्ट में बताईं 7 वजहें

कांग्रेस की ‘जयहिंद सभा’ में ...

[post_dates]

संपादक

Published on:

[featured_caption]

कांग्रेस की ‘जयहिंद सभा’ में मंच पर नहीं बैठे दिग्विजय सिंह, फेसबुक पोस्ट में बताईं 7 वजहें

जबलपुर।  मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह जबलपुर में आयोजित कांग्रेस की ‘जयहिंद सभा’ में मंच पर नहीं बैठे। कार्यक्रम के दौरान जबलपुर से विधायक और पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने मंच पर आने का आग्रह भी किया, लेकिन दिग्विजय सिंह ने इसे विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया। बाद में उन्होंने इस निर्णय की सात वजहें एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से साझा कीं।

दिग्विजय सिंह ने लिखा कि यह निर्णय केवल व्यक्तिगत विनम्रता का नहीं, बल्कि कांग्रेस संगठन को विचारात्मक रूप से सशक्त करने की दिशा में एक सोच है। उन्होंने कहा कि पार्टी को कार्यकर्ताओं के बीच जाकर काम करना होगा और जितनी सादगी संगठन में होगी, उतनी ही उसकी मजबूती बढ़ेगी।

राहुल गांधी और महात्मा गांधी का दिया उदाहरण

उन्होंने 2018 के दिल्ली अधिवेशन का उल्लेख किया जिसमें राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत कई वरिष्ठ नेता मंच से नीचे कार्यकर्ताओं के बीच बैठे थे। उन्होंने महात्मा गांधी का भी उदाहरण देते हुए कहा कि बापू सादगी और समानता में विश्वास रखते थे और असहयोग आंदोलन के समय वे भी लोगों के साथ ज़मीन पर बैठते थे।

पहले भी कर चुके हैं ऐसा

दिग्विजय सिंह ने बताया कि 28 अप्रैल 2025 को ग्वालियर में आयोजित पार्टी कार्यक्रम में भी उन्होंने मंच पर बैठने से इनकार किया था। उन्होंने कहा कि यह परंपरा कांग्रेस में नई नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें पार्टी की स्थापना से जुड़ी विचारधारा में हैं।

मंच पर न बैठने के पीछे 7 कारण

फेसबुक पोस्ट में उन्होंने इस फैसले के पीछे सात प्रमुख कारण गिनाए:

  1. समानता का संदेश: पार्टी में सभी कार्यकर्ताओं को एक जैसा महत्व मिलना चाहिए। मंच से दूर रहकर यही संदेश देना उनका उद्देश्य है।
  2. कार्य को प्राथमिकता: कांग्रेस में पद नहीं, बल्कि कार्य की अहमियत होनी चाहिए।
  3. अनुशासन और स्पष्टता: मंच पर सीमित नेताओं की उपस्थिति से अव्यवस्था और आपसी प्रतिस्पर्धा को रोका जा सकता है।
  4. सम्मान की समान प्रक्रिया: गुलदस्ता और सम्मान समारोह ज़िला अध्यक्ष के माध्यम से होना चाहिए, जिससे कार्यक्रम की गरिमा बनी रहे।
  5. सादगीपूर्ण नेतृत्व: बड़े नेताओं की सादगी से कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा और समर्पण की भावना जागृत होती है।
  6. संगठनात्मक मजबूती: यह निर्णय कांग्रेस की मूल विचारधारा की ओर लौटने का प्रयास है, जहां सेवा और कार्य को प्रमुखता दी जाती है।
  7. कार्यकर्ताओं को मंच का अधिकार: उन्होंने कहा कि जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी को खड़ा किया है, उन्हें मंच पर स्थान मिलना चाहिए, न कि केवल नेताओं के समर्थकों को।

दिग्विजय सिंह ने अपनी पोस्ट में साफ किया कि यह निर्णय व्यक्तिगत नहीं, बल्कि संगठनात्मक सोच से जुड़ा है और आगे भी वह इसी भावना के साथ काम करते रहेंगे।

 

Loading

Join our WhatsApp Group
संपादक

हमारे बारे में योगेश दत्त तिवारी पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं और मीडिया की दुनिया में एक विश्वसनीय और सशक्त आवाज के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। अपने समर्पण, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने पत्रकारिता में एक मजबूत स्थान बनाया है। पिछले 15 वर्षों से वे प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र 'देशबंधु' में संपादक के रूप में कार्यरत हैं। इस भूमिका में रहते हुए उन्होंने समाज के ज्वलंत मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है और पत्रकारिता के उच्चतम मानकों को बनाए रखा है। उनकी लेखनी न सिर्फ तथ्यपरक होती है, बल्कि सामाजिक चेतना को भी जागृत करती है। योगेश दत्त तिवारी का उद्देश्य सच्ची, निष्पक्ष और जनहितकारी पत्रकारिता को बढ़ावा देना है। उन्होंने हमेशा युवाओं को जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए प्रेरित किया है और पत्रकारिता को सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम माना है। उनकी संपादकीय दृष्टि, विश्लेषणात्मक क्षमता और निर्भीक पत्रकारिता समाज के लिए प्रेरणास्रोत रही है।
संपादक