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झाड़ियों में लिपटी इंसानियत: मां ने नवजात को छोड़ा, किसान और राहगीर ने बचाई जान

झाड़ियों में लिपटी इंसानियत: मां ...

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झाड़ियों में लिपटी इंसानियत: मां ने नवजात को छोड़ा, किसान और राहगीर ने बचाई जान

सागर (मध्यप्रदेश)। मध्यप्रदेश के सागर जिले के देवरी क्षेत्र से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। मंगलवार सुबह देवरी-रहली मार्ग पर कोपरा गांव के पास एक नवजात बच्ची को झाड़ियों में लावारिस हालत में फेंका हुआ पाया गया। बच्ची के रोने की आवाज ने राहगीरों को चौंका दिया, जिसके बाद समय रहते पुलिस और स्वास्थ्य अमले की मदद से उसकी जान बचाई जा सकी।

प्रत्यक्षदर्शी किशोर यादव के अनुसार, वह जब मोटरसाइकिल से रहली से देवरी जा रहे थे, तभी कोपरा गांव के पास एक किसान घबराया हुआ सड़क पर वाहनों को रोकने की कोशिश कर रहा था। रुककर पूछने पर किसान ने बताया कि झाड़ियों में एक नवजात बच्ची फंसी हुई है। बच्ची कंटीले तारों में उलझी थी और लगातार रो रही थी। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थानीय लोगों की मदद से बच्ची को बाहर निकाला गया। उसे 108 एम्बुलेंस के ज़रिए देवरी के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पराग ने बताया कि बच्ची मात्र एक दिन की है। उसके शरीर पर खरोंचों के निशान थे और वह पूरी तरह से मिट्टी और धूल में सनी हुई थी। हालांकि इलाज शुरू होते ही उसकी हालत में सुधार देखा गया और अब वह सुरक्षित है।

डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की देखरेख में बच्ची को लगातार निगरानी में रखा गया है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि आखिर इस मासूम को इस हालत में झाड़ियों में क्यों छोड़ा गया।

एक ओर जहाँ यह घटना समाज में घटती मानवीय संवेदनाओं का कड़वा सच सामने लाती है, वहीं राहगीर और किसान जैसे सजग नागरिकों ने यह साबित कर दिया कि इंसानियत अभी पूरी तरह मरी नहीं है।

 

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मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
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