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सागर : महिला सरपंच से सरेआम मारपीट, थाने में भी अपमान ! 

महिला सशक्तिकरण के दावों की ...

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महिला सशक्तिकरण के दावों की खुली पोल, कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में..जाने मामला…

सागर/ मध्यप्रदेश सरकार जहां एक ओर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर सागर जिले में महिला जनप्रतिनिधियों के साथ हो रहे अत्याचार इन दावों की सच्चाई उजागर कर रहे हैं। ग्राम पंचायत ईशुरवारा की महिला सरपंच रश्मि राय के साथ हुई मारपीट की घटना ने प्रदेश में महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

जिस जिले के प्रभारी मंत्री खुद राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं, वहां अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि अब महिलाएं, वह भी चुनी हुई जनप्रतिनिधि, सुरक्षित नहीं हैं। बीते दिनों जिले में लगातार फायरिंग और दबंगई की घटनाएं सामने आई थीं और अब महिला जनप्रतिनिधि पर हमला कर, पुलिस थाने में भी अपमानित किया जा रहा है।

कार्यक्रम में मारपीट, थाने में पैसों की मांग

राहतगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत ईशुरवारा से महिला सरपंच रश्मि राय ने बताया कि 14 जून को गांव के खेर माता मंदिर में आयोजित बाटी कार्यक्रम में जब वह शामिल हुईं, उन्होंने आरोप लगाए है कि कार्यक्रम में गांव के पूर्व सरपंच महेश विश्वकर्मा व उनके परिजन शैलेंद्र विश्वकर्मा, कल्लू विश्वकर्मा और समीर विश्वकर्मा वहां पहुंचे और गाली-गलौज करते हुए कहा कि “तुझे कार्यक्रम में आने से मना किया था, फिर क्यों आई?” इसके बाद उन्होंने बाल पकड़कर घसीटते हुए बाहर ले गए। जब ड्राइवर अनिकेत राय बीच-बचाव करने आया तो उसके साथ भी मारपीट कर दी गई। सरपंच रश्मि राय ने आरोप लगाए हैं कि रिपोर्ट दर्ज कराने नरयावली थाना पहुंचीं, तो उन्हें घंटों बैठाकर कथित रूप से पैसों की डिमांड की गई। सरपंच का आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों से मिलीभगत कर उल्टा उनके पति और ड्राइवर पर ही प्रकरण दर्ज करवा दिया।

घर पहुंचकर दी धमकी, इस्तीफा देने का दबाव

घटना के अगले दिन रात 2 बजे आरोपी फिर सरपंच के घर पहुंचे और गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी। सरपंच के मुताबिक, आरोपी लगातार उन पर इस्तीफा देने का दबाव बना रहे हैं और जब से वे सरपंच बनी हैं, तब से महेश विश्वकर्मा उन्हें काम करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

न्याय की मांग को लेकर एसपी ऑफिस में धरना

थाने से न्याय न मिलने पर सरपंच रश्मि राय सोमवार दोपहर अपने पति और बच्चों के साथ एसपी कार्यालय पहुंचीं और धरने पर बैठ गईं। उनका साफ कहना है कि महिला जनप्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें न तो गांव में सम्मान मिल रहा है और न ही पुलिस से सुरक्षा।

महिला सशक्तिकरण के दावों पर सवाल

मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे उलट है। महिला जनप्रतिनिधियों को अपने अधिकारों के लिए थानों में भी संघर्ष करना पड़ रहा है। सवाल यह है कि क्या महिला सशक्तिकरण केवल कागजों और नारों तक ही सीमित रह गया है?

जब चुनी हुई महिला सरपंच को न गांव में काम करने दिया जा रहा है, न थाने में न्याय दिया जा रहा है, तो आम महिलाओं की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल

यह मामला जिले की कानून व्यवस्था पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। जब जिले में प्रभारी मंत्री उपमुख्यमंत्री हैं, फिर भी अपराधी खुलेआम फायरिंग कर रहे हैं, महिलाओं को धमकाया जा रहा है और पुलिस थानों में रिश्वत मांगी जा रही है। क्या यही महिला सुरक्षा है? क्या यही गुड गवर्नेंस है?

पुलिस अधिकारियों ने मामले की जांच कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या महिला जनप्रतिनिधि को न्याय के लिए धरने पर बैठना पड़ेगा?

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मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
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