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किश्त चूकने पर युवक का अपहरण, खेत के मकान में बंधक बनाकर बेल्ट और डंडों से रातभर की गई पिटाई

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किश्त चूकने पर युवक का अपहरण, खेत के मकान में बंधक बनाकर बेल्ट और डंडों से रातभर की गई पिटाई

पिथौरा क्षेत्र में निजी फाइनेंस कंपनियों की मनमानी और गुंडागर्दी की एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। बजाज फाइनेंस लिमिटेड से लिए गए ऋण की किश्त समय पर न भर पाने पर एक युवक को पहले अगवा किया गया और फिर रातभर बंधक बनाकर बेरहमी से पीटा गया। मामला न सिर्फ मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि यह निजी कर्ज वसूली एजेंटों की कानून से ऊपर उठती मानसिकता को भी उजागर करता है।

यह सनसनीखेज घटना छत्तीसगढ़ के पिथौरा थाना क्षेत्र के ग्राम बरेकेलखुर्द की है। यहां ग्राम बया निवासी नंदूराम सेन, जो कि एक आम ग्रामीण है, उसे छह लोगों ने मिलकर खेत में बने एक मकान में बंधक बना लिया और रातभर बेल्ट व डंडों से पीटा। नंदूराम ने बजाज फाइनेंस से ₹50,000 का लोन लिया था, जिसमें से ₹30,000 की किश्त वह चुका चुका था। उसके अनुसार, उसके पंजाब नेशनल बैंक खाते से ₹20,000 अतिरिक्त कट गए, जिससे उसने यह समझा कि लोन की पूरी रकम चुका दी गई है।

लेकिन फाइनेंस कंपनी के एजेंट राजकुमार पटेल ने आरोप लगाया कि नंदूराम की तीन किश्तें उसने अपनी जेब से भरी हैं, जिसकी भरपाई वह अब नंदूराम से जबरन कराना चाहता था। जब नंदूराम ने इस पर आपत्ति जताई और जानकारी से इनकार किया, तो एजेंट ने पांच अन्य लोगों के साथ मिलकर उसे जबरन ग्राम बया से उठाया और बरेकेलखुर्द ले जाकर मारपीट की।

पीड़ित नंदूराम सेन के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान हैं। उसका कहना है कि उसे बेल्ट और डंडों से इतनी बेरहमी से पीटा गया कि वह रातभर दर्द से कराहता रहा।

पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई

घटना की शिकायत मिलते ही पिथौरा पुलिस ने तत्काल कदम उठाते हुए राजकुमार पटेल समेत छह आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। हालांकि चूंकि यह घटना राजादेवरी थाना क्षेत्र में शुरू हुई थी, इसलिए पिथौरा थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कर मामला राजादेवरी थाना को सौंपा गया।

निजी एजेंटों की मनमानी पर उठे सवाल

इस घटना ने एक बार फिर निजी फाइनेंस कंपनियों के एजेंटों की दबंगई और अवैध तरीकों को उजागर कर दिया है। नियमों के तहत कोई भी एजेंट कर्ज वसूली के लिए बल प्रयोग नहीं कर सकता, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। पिथौरा की यह घटना बता रही है कि कैसे कुछ एजेंट खाकी का डर भूलकर खुद कानून अपने हाथ में लेने लगे हैं।

जहां कर्ज लेने वाला पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा होता है, वहीं एजेंटों की मारपीट और धमकियों से उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति और बिगड़ जाती है। यह पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करता है और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग करता है।

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मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
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