जबलपुर। डुमना एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण और विस्तार पर सरकार ने भले ही 450 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हों, लेकिन इसके बावजूद हवाई यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं मिल पा रही है। उड़ानों की लगातार घटती संख्या को लेकर अब मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में पहुंच गया है। अदालत ने सरकार से स्पष्ट पूछा है कि बड़े शहरों से कनेक्टिविटी बढ़ाने और नए गंतव्यों को जोड़ने के लिए आखिर क्या ठोस योजना बनाई गई है।
11 अगस्त तक मांगी विस्तृत रिपोर्ट
मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह 11 अगस्त तक डुमना एयरपोर्ट की उड़ानों को लेकर विस्तृत योजना और प्रगति रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
बैठक के प्रयास नाकाम, एयरलाइंस कंपनियां नहीं आईं आगे
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि एयरलाइंस कंपनियों के साथ बैठक आयोजित करने के लिए प्रयास किए गए थे। इसके लिए पत्र भी भेजे गए, लेकिन कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए। साथ ही सरकार ने यह भी बताया कि एयरपोर्ट पर कुछ सर्विस चार्ज कम किए गए हैं ताकि कंपनियों को राहत मिल सके।
कोर्ट ने दोबारा बैठक आयोजित करने और उसमें एयरलाइंस प्रतिनिधियों की मौजूदगी सुनिश्चित कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
एयरलाइंस को रियायत देने की योजना
राज्य सरकार ने पहले भी कोर्ट को अवगत कराया था कि फरवरी 2025 से एयरलाइंस कंपनियों को रियायती दरों पर सुविधाएं देने की योजना बनाई गई है। इस नीति की अदालत ने सराहना करते हुए इसके त्वरित क्रियान्वयन की सिफारिश की है।
एक साल पहले दायर हुई थी याचिका
इस पूरे मामले की शुरुआत 2024 में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच द्वारा दायर की गई जनहित याचिका से हुई थी। याचिका में जबलपुर से देश के प्रमुख शहरों के लिए उड़ानों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई थी।
यात्रियों को हो रही भारी परेशानी
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट में बताया कि जबलपुर से पहले प्रतिदिन औसतन 15 उड़ानें संचालित होती थीं, लेकिन अब यह संख्या बेहद कम हो गई है। यहां तक कि हाल ही में भोपाल के लिए उड़ान भी बंद कर दी गई है। जबलपुर से पहले मुंबई, पुणे, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध थीं, जिससे यह शहर प्रदेश के अन्य बड़े शहरों जैसे इंदौर, ग्वालियर और भोपाल की बराबरी पर था।
अब उड़ानों के निरंतर बंद होने से आम यात्रियों को खासा नुकसान हो रहा है और हवाई यात्रा का विकल्प सीमित होता जा रहा है।