साहब… आप लोगों की वजह से मेरा एक साल खराब हो गया” कलेक्टर कार्यालय में अधिकारियो से छात्र की गुहार
सागर। राहतगढ़ विकासखंड के कनेरा नीखर हाई स्कूल का छात्र प्रशांत कटारे पिछले पिछले 6 महीनों से अपनी अंकसूची में दर्ज जन्मतिथि को सही करवाने के लिए शिक्षा विभाग और विद्यालय के चक्कर काट रहा है। मामला इतना गंभीर हो गया कि मंगलवार को वह अपने पिता के साथ सागर कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई के दौरान मिठाई का डिब्बा लेकर पहुँच गया। वहाँ उसने अधिकारियों से कहा साहब, आप लोगों की वजह से मेरा एक साल खराब हो गया, मुझे आईटीआई में एडमिशन तक नहीं मिला। आप लोग बहुत खुश होंगे, आइए मिठाई खाइए। छात्र की यह अनोखी व्यथा सुनकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए।
प्रशांत ने बताया कि उसने सत्र 2024-25 में कक्षा 10वीं की परीक्षा नियमित छात्र के रूप में दी थी। परीक्षा आवेदन पत्र स्कूल से ही भरा गया था, जिसमें उसकी सही जन्मतिथि 27 फरवरी 2008 दर्ज की गई थी। लेकिन जब प्रवेश पत्र आया तो उसमें 28 फरवरी 2008 लिखी मिली और बाद में अंकसूची में भी यही गलत तारीख दर्ज रही। उसने बताया कि गलती उसकी नहीं बल्कि स्कूल स्तर पर हुई, क्योंकि उसने तो समय पर सही जानकारी दी थी। इस गलती का खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि गलत जन्मतिथि की वजह से उसका आईटीआई में दाखिला नहीं हो पाया।
छात्र का कहना है कि उसने प्राचार्य से इस बारे में बार-बार शिकायत की और कई बार जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद जैन से भी गुहार लगाई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। लगभग 15 दिन पहले भी उसने जनसुनवाई में आवेदन दिया था, मगर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
प्रशांत के पिता मनोहर कटारे ने भी विद्यालय प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जब भी वे स्कूल जाते हैं तो प्राचार्य उन्हें एफआईआर कराने की धमकी देती हैं। पिता का कहना है कि बेटे की पढ़ाई पर सीधा असर पड़ा है और अब उसका पूरा एक साल खराब होने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि न तो स्कूल ने जिम्मेदारी दिखाई और न ही शिक्षा विभाग के अधिकारी मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।
जनसुनवाई में प्रशांत और उसके पिता ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मांग की कि उसकी अंकसूची में दर्ज जन्मतिथि को तुरंत सुधारा जाए और सही अंकसूची जारी की जाए ताकि वह दाखिला ले सके। साथ ही उन्होंने प्राचार्य के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने की मांग भी की।
दरअसल यह कहानी सिर्फ एक छात्र की नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही को उजागर करती है। एक छोटी सी गलती और उसके सुधार में बरती जा रही ढिलाई ने छात्र का भविष्य अधर में लटका दिया है। जब शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होती और अधिकारी मामले को टालते रहते हैं, तो मजबूर छात्र ही ऐसे असामान्य तरीकों से अपनी पीड़ा जताने को मजबूर हो जाते हैं। कलेक्टर कार्यालय में मिठाई का डिब्बा लेकर पहुँचा यह छात्र अब उम्मीद लगाए बैठा है कि उसकी गुहार पर सुनवाई होगी और उसके जीवन का बर्बाद होता एक साल बचाया जा सकेगा।