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हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: कोठों पर जाकर पैसे देने वाले अब केवल ग्राहक नहीं, अपराधी माने जाएंगे

भारत में वेश्यावृत्ति का मुद्दा ...

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भारत में वेश्यावृत्ति का मुद्दा हमेशा से जटिल और विवादास्पद रहा है। यह न तो पूरी तरह कानूनी है और न ही पूरी तरह प्रतिबंधित। इसी बीच केरल हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि कोठों पर जाकर यौन सेवाएं लेने वाले लोगों को भी कानून के दायरे में लाया जा सकता है।

हाई कोर्ट के जस्टिस वी. जी. अरुण ने सुनवाई के दौरान कहा कि सेक्स वर्कर को किसी वस्तु की तरह नहीं देखा जा सकता। जो लोग पैसे देकर उनका शोषण करते हैं, वे केवल “ग्राहक” नहीं बल्कि अपराधी भी माने जाएंगे।

क्यों अहम है यह फैसला?

न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि अधिकांश मामलों में महिलाएं या लड़कियां मानव तस्करी, धोखे या मजबूरी की वजह से इस धंधे में धकेली जाती हैं। उनके शरीर का इस्तेमाल दूसरों की इच्छाओं को पूरा करने के साधन के रूप में किया जाता है। ऐसे में पैसे देकर सेवा लेने वाला व्यक्ति भी इस अपराध को बढ़ावा देता है और उन्हें इस काम के लिए मजबूर करता है।

मामला क्या था?

यह फैसला तिरुवनंतपुरम में हुई एक पुलिस कार्रवाई से जुड़ा है। यहां छापेमारी के दौरान पुलिस ने एक व्यक्ति को एक सेक्स वर्कर के साथ पकड़ा था। आरोपी ने अदालत में सफाई देते हुए कहा कि वह केवल “सर्विस लेने” गया था। हालांकि, पुलिस ने उस पर कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया।

किन धाराओं में केस दर्ज हुआ?

आरोपी पर अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 (ITP Act) की धारा 3, 4, 5(1)(d) और 7 लगाई गई थीं।

धारा 3 और 4: कोठा चलाने या वेश्यावृत्ति से कमाई से संबंधित।

धारा 5(1)(d) और 7: यौन सेवाएं लेने और सार्वजनिक स्थानों पर वेश्यावृत्ति से जुड़ी गतिविधियों को अपराध मानती हैं।

हाई कोर्ट ने आरोपी को धारा 3 और 4 से तो राहत दी, लेकिन 5(1)(d) और 7 के तहत मुकदमे को जारी रखने का आदेश दिया।

अदालत का स्पष्ट संदेश

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केवल पैसे देना किसी को “ग्राहक” नहीं बना देता, बल्कि यह यौन शोषण को बढ़ावा देने जैसा है। इसके अलावा, अदालत ने यह भी माना कि वेश्यावृत्ति से कमाए गए पैसों का बड़ा हिस्सा दलालों या कोठा संचालकों के पास चला जाता है, जिससे सेक्स वर्कर की स्थिति और भी दयनीय हो जाती है।

इस तरह यह फैसला न सिर्फ कानून की व्याख्या करता है, बल्कि समाज को यह भी संदेश देता है कि यौन शोषण केवल मांग से ही बढ़ता है और इस कड़ी में ग्राहक भी उतना ही जिम्मेदार है जितना दलाल या संचालक।

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मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
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