MP : मंदसौर जिले में लोक निर्माण विभाग (PWD) में पदस्थ एक इंजीनियर के बेटे के अपहरण का मामला वह मोड़ लेगा, किसी ने सोचा भी नहीं था। गरोठ में पदस्थ इंजीनियर कमल जैन के 26 वर्षीय पुत्र हर्षल जैन के कथित अपहरण की गुत्थी पुलिस ने महज 24 घंटे में सुलझा दी—और खुलासा ऐसा था जिसने सभी को हैरान कर दिया।
जांच में पता चला कि पूरा अपहरण ड्रामा हर्षल ने ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर रचा था, ताकि वह अपने ऊपर चढ़े लाखों के कर्ज से छुटकारा पा सके।
कर्ज ने रचवाई फर्जी अपहरण की साजिश
पुलिस अधिकारियों के अनुसार हर्षल लंबे समय से आर्थिक संकट में था और उस पर लाखों रुपये का कर्ज हो चुका था। इसी दबाव में उसने अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर खुद के अपहरण की कहानी तैयार की। योजना के तहत उसके दोस्तों ने हर्षल के ही मोबाइल से उसके पिता को फोन कर 50 लाख रुपये की फिरौती मांगी।
लेकिन पुलिस की तेज जांच-पड़ताल के सामने यह साजिश टिक नहीं पाई और एक दोस्त के पकड़े जाने के बाद पूरा मामला सामने आ गया। पुलिस ने हर्षल और उसके मुख्य साथी गणपतसिंह हाड़ा को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दो अन्य आरोपी फरार हैं।
इंजीनियर पिता के पास आया फिरौती कॉल
एसपी विनोद कुमार मीना ने बताया कि गुरुवार शाम इंजीनियर कमल जैन को उनके बेटे के फोन से कॉल आया। कॉल करने वाले ने कहा कि हर्षल का अपहरण कर लिया गया है और उसकी सुरक्षित रिहाई के लिए 50 लाख रुपये की मांग की गई।
घबराए कमल जैन तुरंत शामगढ़ थाने पहुंचे और मामला दर्ज कराया।
सात टीमों ने शुरू की रातभर सर्चिंग
मामला संवेदनशील होने के कारण पुलिस ने तुरंत सात विशेष टीमें गठित कीं। गरोठ एएसपी हेमलता कुरील, मल्हारगढ़ एसडीओपी नरेंद्र सोलंकी और सीतामऊ एसडीओपी दिनेश प्रजापति के नेतृत्व में बनी इन टीमों ने शामगढ़, नारायणगढ़, मल्हारगढ़, वायडी नगर और सीतामऊ क्षेत्रों में लगातार खोजबीन की।
तकनीकी जांच ने मामले का रुख बदला
जांच में सबसे अहम भूमिका निभाई तकनीकी टीम ने।
मल्हारगढ़ एसडीओपी नरेंद्र सोलंकी की टीम ने
मोबाइल लोकेशन
फास्टैग डिटेल
वाहनों की गतिविधियां
हर्षल व उसके दोस्तों की सोशल और व्यवसायिक जानकारी
सब बारीकी से खंगाली।
हर्षल का फोन बंद होने से ठीक पहले हिंडोली (बूंदी) इलाके में लोकेट हुआ था, जिसके बाद पुलिस राजस्थान की ओर बढ़ी।
कोटा से मिला बड़ा सुराग
कोटा पहुंचने पर पता चला कि हर्षल का करीबी दोस्त गणपतसिंह हाड़ा वहीं पढ़ाई के साथ एक कैफे ‘देशी चाय का ठेका’ और हर्षल के साथ मिलकर एक कूलर स्टैंड फैक्टरी भी चलाता है।
गणपतसिंह की तलाश शुरू हुई और जब पुलिस उसके करीब पहुंची, तो थोड़ी ही देर बाद हर्षल भी वहीं मिल गया। दोनों को कोटा से हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो पूरा सच सामने आ गया।
फैक्ट्री के लिए लिया था कर्ज, बढ़ा दबाव
पुलिस के अनुसार हर्षल कोटा में कूलर की जाली बनाने की नई फैक्ट्री शुरू कर रहा था। इस काम में लगातार खर्च बढ़ रहा था और उसने निजी स्तर पर कई जगह से उधार ले रखा था।
कर्ज बढ़ने के बाद उसने दोस्त गणपतसिंह के साथ मिलकर फर्जी अपहरण की योजना बनाई।
दो और दोस्त शामिल, फिरौती बांटने की तैयारी
गणपतसिंह की जानकारी के अनुसार साजिश में उसके दो अन्य दोस्त
जनरेलसिंह, निवासी बालोला (हिंडोली)
कुलदीप कहार, निवासी अमरतिया चौराहा (बूंदी)
को भी शामिल किया गया था।
योजना थी कि पिता से 50 लाख रुपये मिल जाएं, फिर यह राशि चारों में बांट ली जाए।
गुरुवार सुबह हर्षल घर से निकला, फोन बंद किया और कोटा पहुंच गया। शाम तक उसके दोस्तों ने उसके फोन से फेरौती का कॉल कर दिया। वे रात में फिरौती पर अगला कॉल करने वाले थे, लेकिन पुलिस इससे पहले ही उनके पास पहुंच गई।
मुख्य दो आरोपी फरार, पुलिस तलाश में
हर्षल और गणपतसिंह हाड़ा पुलिस की गिरफ्त में हैं।
जनरेलसिंह और कुलदीप कहार फरार हैं और उनकी तलाश के लिए राजस्थान में संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।








