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08 दिसंबर से थम गई शहनाई की धुन, 06 फरवरी से फिर गूंजेंगी शादियां,जाने नए साल के शुभ मुहूर्त

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08 दिसंबर से थम गई शहनाई की धुन, 06 फरवरी से फिर गूंजेंगी शादियां,जाने नए साल के शुभ मुहूर्त

विवाह के शुभ लग्न 08 दिसंबर 2025 से बंद हो जाएंगे, जिसके साथ ही 55 दिनों तक शादी-ब्याह जैसे सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। शुभ कार्यों में शुक्ल पक्ष एवं गुरु-शुक्र के शुभ होने की अनिवार्यता के कारण 08 दिसंबर से लग्न समाप्त हो रहे हैं। इस अवधि में खरमास और गुरु-शुक्र अस्त दोनों होने के कारण कोई विवाह संस्कार नहीं होंगे। डॉ अनिल दुबे वैदिक बताते हैं कि
08 दिसंबर 2025 तक लग्न चलेंगे, इसके बाद खरमास प्रारंभ हो जाएगा। 11 दिसंबर से 1 फरवरी 2026 तक शुभ ग्रह अस्त रहेंगे। इसके बाद 4 फरवरी 2026 से विवाह और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार वर्ष के 12 महीनों में सिर्फ छह माह ही शुभ कार्यों के योग्य होते हैं। बिना मुहूर्त के किए गए कार्यों में बाधाएं आती हैं, इसलिए इस अवधि में विवाह पर रोक रहेगी।
हृषीकेश पंचांग वाराणसी के अनुसार भी पूरे खरमास में विवाह वर्जित रहते हैं। हालांकि अन्य दिनों में शादियां होती रहती हैं, लेकिन खरमास में पूर्ण रूप से रोक मानी जाती है।

अगले वर्ष के कुछ प्रमुख शुभ मुहूर्त

फरवरी: 4, 8, 10, 16, 12
मार्च: 3, 14
अप्रैल: 9, 12, 15, 20, 21, 25, 30
मई: 1, 3, 9, 12, 13, 14, 21
जून: 21, 30
जुलाई: 1, 2, 6, 7, 8, 11, 12
नवंबर: 7, 20, 21, 24, 27, 30
दिसंबर: 1, 6, 9, 11, 13
डॉ अनिल दुबे वैदिक देवरी बिछुआ 9936443138

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हमारे बारे में योगेश दत्त तिवारी पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं और मीडिया की दुनिया में एक विश्वसनीय और सशक्त आवाज के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। अपने समर्पण, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने पत्रकारिता में एक मजबूत स्थान बनाया है। पिछले 15 वर्षों से वे प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र 'देशबंधु' में संपादक के रूप में कार्यरत हैं। इस भूमिका में रहते हुए उन्होंने समाज के ज्वलंत मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है और पत्रकारिता के उच्चतम मानकों को बनाए रखा है। उनकी लेखनी न सिर्फ तथ्यपरक होती है, बल्कि सामाजिक चेतना को भी जागृत करती है। योगेश दत्त तिवारी का उद्देश्य सच्ची, निष्पक्ष और जनहितकारी पत्रकारिता को बढ़ावा देना है। उन्होंने हमेशा युवाओं को जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए प्रेरित किया है और पत्रकारिता को सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम माना है। उनकी संपादकीय दृष्टि, विश्लेषणात्मक क्षमता और निर्भीक पत्रकारिता समाज के लिए प्रेरणास्रोत रही है।
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