MP : राज्य मंत्री को सीएम मोहन यादव ने कैबिनेट के बाद, लगाई फटकार, कहा – मंत्री पद पर रहते विपक्ष जैसा रवैया ठीक नहीं
भोपाल। प्रदेश की नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी को अपनी ही सरकार के कार्यों पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाना महंगा पड़ गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कैबिनेट बैठक के बाद उन्हें तलब कर कड़ी आपत्ति जताई और स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि मंत्री पद पर रहते हुए विपक्ष जैसी भूमिका निभाना स्वीकार्य नहीं है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने उनसे संबंधित मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। बैठक के बाद प्रतिमा बागरी काफी देर तक सचिव आलोक सिंह के कक्ष में बैठी रहीं।
इस वजह से नाराज हुए मुख्यमंत्री
दरअसल, दो दिन पहले राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी ने सतना जिले के पोड़ी मनकहरी मार्ग का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान उन्होंने सड़क पर पैर से गिट्टी और डामर हटाकर निर्माण कार्य को घटिया बताया था। उन्होंने मौके पर ही ठेका निरस्त करने और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दे दिए थे। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को मंत्रालय में कैबिनेट बैठक समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रतिमा बागरी को अपने कक्ष में बुलाया। इससे पहले मुख्यमंत्री उस सड़क से जुड़े सभी तथ्यों और विभागीय कार्रवाई की जानकारी भी मंगा चुके थे।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जिस मार्ग को लेकर सवाल उठाए गए, वहां डामर नवीनीकरण का कार्य पहले ही जांच के दायरे में आ चुका था और विभाग द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री होने के नाते सार्वजनिक मंच पर इस तरह का आचरण सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाता है।
15 दिसंबर को हो चुकी थी विभागीय कार्रवाई
जानकारी के अनुसार, सड़क निर्माण में गुणवत्ता को लेकर शिकायत मिलने के बाद 15 दिसंबर 2025 को लोक निर्माण विभाग उपसंभाग मझगवां के अनुविभागीय अधिकारी ने उपयंत्री सुरेन्द्र सिंह के साथ मौके का निरीक्षण किया था। जांच के दौरान किलोमीटर 3/10 से 3/4 के बीच का कार्य अमानक पाया गया, जिसे अमान्य घोषित कर ठेकेदार को दोबारा मानक के अनुरूप कार्य कराने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद 19 दिसंबर को कार्यपालन यंत्री (ईई) ने भी संबंधित कार्य को औपचारिक रूप से निरस्त कर दिया था।
इन्हीं तथ्यों के आधार पर मुख्यमंत्री ने राज्य मंत्री को संयम और जिम्मेदारी के साथ बयान देने की सख्त हिदायत दी








