सागर। शासकीय कॉलेज ऑफ नर्सिंग, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) सागर से बी.एस.सी. नर्सिंग (बॉण्ड) कोर्स पूरा कर चुकी दर्जनों छात्राएं आज अपने भविष्य को लेकर गंभीर चिंता में हैं। साल 2018-19 सत्र में शासन द्वारा अनुबन्धित कर प्रवेश दी गई इन छात्राओं ने चार वर्ष का कठिन प्रशिक्षण वर्ष 2022-23 में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, लेकिन अब तक इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। छात्राओं ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को ज्ञापन सौंपकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
नियुक्ति का वादा, लेकिन हकीकत में सिर्फ इंतजार
छात्राओं ने बताया कि 02 अप्रैल 2024 को संचालक, चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि प्रशिक्षण पूरा करने के उपरांत नियमानुसार नियुक्ति प्रदान की जानी चाहिए। इसके बावजूद नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई है। उन्हें केवल मौखिक आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई।
इन छात्राओं का कहना है कि नियुक्ति में अनावश्यक देरी के चलते वे गंभीर मानसिक तनाव, भविष्य की अनिश्चितता और आर्थिक संकट से गुजर रही हैं। अधिकांश छात्राओं के परिवार मध्यमवर्गीय या निम्न आय वर्ग से आते हैं, जिन्होंने बेटी की शिक्षा के लिए कर्ज तक लिया था। अब जब शिक्षा पूरी हो चुकी है, तो नौकरी न मिलने से पूरा परिवार चिंता में है।
बॉण्ड की शर्तें निभाई, अब शासन निभाए अपनी जिम्मेदारी
बॉण्ड के तहत इन छात्राओं ने यह कोर्स किया ताकि राज्य सरकार को प्रशिक्षित और योग्य नर्सिंग स्टाफ मिल सके। शासन की सेवा करने की नीयत और निष्ठा के साथ पढ़ाई पूरी की गई, लेकिन अब नियुक्ति पत्र के अभाव में उनका मनोबल टूट चुका है।छात्राओं का कहना है कि –
हमने शासन के आदेशों का पालन किया, पर अब शासन हमारी ओर आंखें मूंदे बैठा है। जब तक हमें नियुक्ति नहीं मिलती, हमारी शिक्षा अधूरी मानी जाएगी।
मंत्री से निवेदन: न्याय दिलाएं, उम्मीद बचाएं
छात्राओं ने उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला से निवेदन किया है कि वे इस प्रकरण को गंभीरता से लें और चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देशित करें कि जल्द से जल्द सभी पात्र छात्राओं को नियुक्ति पत्र जारी किए जाएं। इससे न केवल इन युवतियों का भविष्य संवर सकेगा बल्कि प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र को भी सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
चार साल की पढ़ाई, बॉण्ड की निष्ठा और सेवा की तैयारी सब कुछ अधर में लटका है। अब सिर्फ एक निर्णय की जरूरत है, जो इन बेटियों के जीवन में उजाला ला सके। शासन की एक पहल से इन युवतियों के चेहरे पर मुस्कान और घरों में राहत लौट सकती है।
अब देखना यह है कि उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला इन छात्राओं की पीड़ा को कितनी संवेदनशीलता से लेते हैं और कब तक इनका इंतजार खत्म होता है।