जैसीनगर। दक्षिण वन मंडल के जैसीनगर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अगरिया बीट में वन विभाग की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। कक्ष क्रमांक पी-678 में वर्ष 2020–21 के दौरान 30 हेक्टेयर क्षेत्र में सीमेंट के खंभों और लोहे की तार से सुरक्षित फेंसिंग कराई गई थी। इसके बाद 2021-22 में एनपीवी कैंपा फंड से सागौन के पौधों का पौधारोपण किया गया। इन पौधों की सुरक्षा और देखरेख की जिम्मेदारी वर्ष 2029 तक वन विभाग पर है, ताकि पौधे सुरक्षित रूप से वृक्ष बन सकें।
लेकिन स्थल का निरीक्षण करने पर स्थिति बिल्कुल विपरीत मिली। जिन खंभों और जालियों से इस पूरे पौधरोपण क्षेत्र की रक्षा होनी थी, वही अब जगह-जगह टूटे पड़े हैं और कई स्थानों पर जाली पूरी तरह गायब है।
सामने से ठीक, पीछे से उजड़ी सुरक्षा—100 से अधिक खंभे टूटे
जब स्थल पर जाकर स्थिति देखी गई तो यह साफ हुआ कि सामने की ओर फेंसिंग अपेक्षाकृत ठीक लगती है, लेकिन क्षेत्र के पीछे के हिस्से में हालात बेहद खराब हैं।
100 से अधिक लोहे के खंभे उखड़कर जमीन पर गिर चुके हैं।
कई जगह पूरी जालियां चोरी हो चुकी हैं।
कुछ क्षेत्रों में जाली दिखाई देती है, लेकिन वे भी टूटी और जर्जर अवस्था में हैं।
इसके अलावा, जहां 30 हेक्टेयर में सागौन का रोपण किया गया था, वहां कई जगह पौधों की ग्रोथ बेहद कमजोर दिखी और कुछ स्थानों पर पौधे दिखाई भी नहीं दिए।
वन विभाग की जिम्मेदारी पर उठे बड़े सवाल
सरकार पौधारोपण और उनकी सुरक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है। फंड जारी होता है, फेंसिंग होती है, पौधारोपण किया जाता है, और उसके बाद बीट गार्ड और संबंधित वनकर्मियों पर पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है।
लेकिन सवाल यह है—
जब सुरक्षा की जिम्मेदारी विभाग की थी, तो खंभे टूटे और जाली चोरी कैसे हो गई?
क्या नियमित निगरानी नहीं की गई?
क्या यह पूरा मामला लापरवाही का परिणाम है?
स्थल की तस्वीरें स्वयं स्थिति बता देती हैं कि सुरक्षा व्यवस्था केवल कागजों पर मजबूत दिखाई देती है, जमीन पर नहीं।
अधिकारियों से संपर्क नहीं,जांच का आश्वासन
इस मामले पर स्पष्ट जानकारी के लिए जैसीनगर वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर शशिकांत गोस्वामी से तीन बार फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने सभी कॉल रिसीव नहीं कीं।
दूसरी ओर, दक्षिण वन मंडल के डीएफओ वरुण यादव ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। उन्होंने माना कि कई बार ग्रामीण और किसान फेंसिंग की तारें काटकर ले जाते हैं।
डीएफओ यादव के अनुसार,
ग्रामीणों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है ताकि वे सुरक्षा जालियों को नुकसान न पहुंचाएं।
स्थानीय स्तर पर मांग,क्षेत्र की तुरंत मरम्मत और निगरानी बढ़े
स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों की मांग है कि:
फेंसिंग की तत्काल मरम्मत की जाए
चोरी और नुकसान रोकने के लिए नियमित गश्त बढ़ाई जाए
जिम्मेदार कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जाए
पौधों की वास्तविक स्थिति का सर्वे कर रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए
ऐसा न करने पर करोड़ों रुपये की यह योजना केवल कागजों पर ही सफल दिखेगी।








