शाहगढ़। बीला थाना क्षेत्र में स्थित बीला बांध के भराव क्षेत्र की सरकारी भूमि पर लंबे समय से चले आ रहे कब्जे को लेकर शुक्रवार को दो पक्षों में हिंसक झड़प हो गई। घटना में खेत में काम कर रहे एक आदिवासी दंपत्ति पर गांव के ही दो लोगों ने कुल्हाड़ी से हमला कर दिया, जिससे पति गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सात दशकों से खेती, अब विवाद ने लिया हिंसक रूप
मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम बीला निवासी संतोष आदिवासी का परिवार लगभग 70 वर्षों से बीला डैम के भराव क्षेत्र में स्थित लगभग दो एकड़ सरकारी कृषि भूमि पर खेती करता आ रहा है। संतोष के पिता, 62 वर्षीय काशीराम आदिवासी ने बताया कि उनके पूर्वजों के समय से यह भूमि उनके कब्जे में है। जब तक सरकारी नीलामी होती रही, तब तक वे नियमित रूप से उसमें भाग लेते रहे और पिछले दो दशकों से वे कब्जे की रसीद भी कटाते आ रहे हैं।इसी भूमि पर फिलहाल गांव के ही नारायण आदिवासी और उसका दामाद राजू आदिवासी भी दावा कर कब्जा करना चाहते हैं। दोनों पक्षों के बीच इस सरकारी खेत को लेकर पिछले कुछ समय से विवाद चला आ रहा था। इस वर्ष उसी खेत में संतोष परिवार द्वारा गेहूं की बोवनी की जा रही थी।
खेत में काम करते वक्त हुआ हमला
शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे संतोष अपनी पत्नी दशोदा बाई के साथ खेत में गेहूं की बुवाई कर रहा था। तभी नारायण और राजू आदिवासी हाथों में कुल्हाड़ी लेकर वहां पहुंचे और झगड़ा करने लगे। थोड़ी ही देर में दोनों ने संतोष पर हमला कर दिया। आरोप है कि पीछे से राजू ने कुल्हाड़ी से वार किया, जिससे संतोष गंभीर रूप से घायल हो गया।घटना की जानकारी मिलते ही परिजन उसे शाहगढ़ अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
पुलिस ने शुरू की जांच
बीला थाना पुलिस ने संतोष की शिकायत पर नारायण और राजू आदिवासी के खिलाफ मारपीट और हत्या के प्रयास की धाराओं में मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि मौके से घटनास्थल का मुआयना किया गया है और घायल के बयान के आधार पर आगे की जांच जारी है।स्थानीय लोगों का कहना है कि बीला डैम के आसपास कई पुरानी सरकारी जमीनें हैं, जिन पर वर्षों से ग्रामीणों का कब्जा है। ऐसे कई मामलों में अब जमीन को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है।








