इंदौर नगर निगम में बड़ा भ्रष्टाचार : इंदौर में नगर निगम के उद्यान अधिकारी चेतन पाटिल के ठिकानों पर ईओडब्ल्यू की बड़ी कार्रवाई। छोटे वेतन में करोड़ों की संपत्ति, भ्रष्टाचार में गहराई तक जुड़ी मिली संपत्तियां। पूरी खबर पढ़ें…
इंदौर। शहर को हरा-भरा बनाने की जिम्मेदारी जिस अधिकारी पर थी, वही अब भ्रष्टाचार में गले तक डूबा पाया गया है। इंदौर नगर निगम में पदस्थ चेतन विनायकराव पाटिल, जो वर्तमान में उद्यान अधिकारी हैं, ने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति जमा कर ली। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने मंगलवार सुबह उसके निवास और कार्यालय पर छापामार कार्रवाई की, जिसमें आय से 175 गुना अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ।
करोड़ों की संपत्ति का भंडाफोड़, मामूली वेतन में बना करोड़पति
ईओडब्ल्यू की टीम ने चेतन पाटिल के इंदौर के भानगढ़ स्थित गुलमोहर ग्रीन कॉलोनी में बने मकान और नगर निगम के उद्यान विभाग कार्यालय पर छापा मारा। छानबीन में अधिकारी की कुल वैध आय लगभग 15 लाख रुपये पाई गई, जबकि उसने पाश कॉलोनियों में भूखंड, महंगे गहने, बीमा पॉलिसियां और नकदी समेत करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित कर ली थी। खास बात यह है कि चेतन पाटिल का मासिक वेतन महज 30 हजार रुपये है, इसके बावजूद उसकी संपत्ति का आंकड़ा चौंकाने वाला है।
मां के नाम खाते में लाखों रुपये जमा
जांच के दौरान एजेंसी को चेतन पाटिल की मां शोभा बाई के बैंक खाते में 40 लाख 33 हजार रुपये की जमा राशि मिली। इसके अलावा 10 लाख रुपये कीमत के सोने के गहने, 17 बीमा पॉलिसी, एक स्कूटर और 1 लाख 14 हजार रुपये नकद भी जब्त किए गए। ईओडब्ल्यू ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
कैसे चढ़ा प्रमोशन की सीढ़ी
चेतन पाटिल ने वर्ष 2004 में नगर निगम में मस्टरकर्मी के रूप में करियर शुरू किया था। सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा होने के कारण शुरुआत में वह उपयंत्री के रूप में नियुक्त रहा। धीरे-धीरे विधानसभा क्षेत्र दो के जनप्रतिनिधियों से करीबी बढ़ाकर उसने निगम में मजबूत पकड़ बना ली। वर्ष 2016 में मनीष सिंह के निगमायुक्त रहते चेतन पाटिल को जोनल अधिकारी बनाया गया। इसके बाद सात वर्षों में वह प्रमोशन पाकर उद्यान अधिकारी के पद तक पहुंचा और यहीं से उसके भ्रष्टाचार का खेल तेज हो गया।
हरे-भरे इंदौर का सपना बना भ्रष्टाचार का माध्यम
इंदौर में आयोजित अप्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान चेतन पाटिल को शहर की साज-सज्जा की बड़ी जिम्मेदारी दी गई। इस मौके का फायदा उठाते हुए उसने कागजों पर करोड़ों रुपये के पौधे लगवा दिए, जबकि हकीकत में पौधारोपण नहीं हुआ। जब ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की तो नगर निगम ने उसे सहायक उद्यान अधिकारी के पद पर भेज दिया, जबकि नागेंद्र सिंह भदौरिया को उद्यान अधीक्षक बना दिया गया।
निजी कंपनियां भी रडार पर, जांच जारी
ईओडब्ल्यू के मुताबिक, चेतन पाटिल ने निजी कंपनियों के साथ मिलकर करोड़ों का घोटाला किया है। फिलहाल इन कंपनियों की भूमिका की भी गहराई से जांच की जा रही है। इस पूरे मामले ने इंदौर नगर निगम और भ्रष्टाचार के जाल का बड़ा चेहरा उजागर कर दिया है।
नगर निगम के इस बड़े घोटाले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार सिर्फ ऊंचे पदों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे स्तर के कर्मचारी भी सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर करोड़ों का खेल खेल सकते हैं। इंदौर जैसे विकसित होते शहर में इस तरह की घटनाएं विकास कार्यों पर सीधा असर डालती हैं। अब देखना होगा कि ईओडब्ल्यू की इस कार्रवाई के बाद निगम में फैले भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहराई तक उजागर होती हैं और दोषियों पर क्या सख्त कदम उठाए जाते हैं। अब यह देखने वाली बात होगी देखते है क्या होता है आगे indore nagar nigam corruption chetan patil eow raid