गंगा दशहरा 2025: पुण्य, परंपरा और पवित्रता का महापर्व
गंगा दशहरा, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जो गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में गंगा दशहरा का पर्व 10 जून, मंगलवार को मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा का महत्व
गंगा दशहरा को “दशहरा” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन दस प्रकार के पापों का नाश होता है – तीन कायिक, चार वाचिक और तीन मानसिक पाप। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान, दान और जप-तप करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा अवतरण की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया और धीरे-धीरे पृथ्वी पर छोड़ा। यही दिन था ज्येष्ठ शुक्ल दशमी, जब गंगा का धरती पर अवतरण हुआ। इस कारण यह दिन अत्यंत शुभ और पुण्यफलदायक माना गया।
गंगा दशहरा पर क्या करें?
पुण्य अर्जन के प्रमुख कार्य:
गंगा स्नान करें या समीपवर्ती किसी पवित्र नदी में स्नान करें
गंगाजल से घर की शुद्धि करें
दश दान करें: (जल, अन्न, वस्त्र, छाता, पंखा, जूते, तिल, गुड़, दही, शक्कर)
गाय, ब्राह्मण, कन्या या जरूरतमंदों को भोजन व वस्त्र का दान करें
शिव, विष्णु और गंगा माता का पूजन करें
विशेष मंत्र:
“ॐ नमः शिवाय गंगे नारायणी नमोऽस्तुते”
“ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलस्मिन सन्निधिं कुरु॥”
गंगा दशहरा कहां मनाया जाता है विशेष रूप से?
हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी, प्रयागराज, गंगासागर आदि गंगा तटों पर विशेष भीड़ उमड़ती है।
श्रद्धालु गंगा आरती, भजन-कीर्तन और दीपदान करते हैं।
गंगा दशहरा और पर्यावरण
गंगा दशहरा केवल आध्यात्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि जल संरक्षण और नदी स्वच्छता के प्रति जागरूकता का भी दिन है। गंगा जैसी जीवनदायिनी नदियों की शुद्धता बनाए रखना हम सभी का कर्तव्य है।
गंगा दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सामाजिक चेतना का पर्व है। यह दिन हमें आत्मशुद्धि, प्रकृति संरक्षण और सनातन परंपराओं के पालन की प्रेरणा देता है। इस पावन अवसर पर गंगा मैया का आशीर्वाद प्राप्त कर हम अपने जीवन को भी पवित्र बना सकते हैं।