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नेपाल में Gen-Z का तूफ़ानी आंदोलन: संसद में आगजनी, 30 मौतें, पीएम ओली का इस्तीफा और मोदी जैसे नेता की मांग से गरमाई राजनीति

काठमांडू। नेपाल की सड़कों पर ...

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काठमांडू। नेपाल की सड़कों पर उठी युवा पीढ़ी की आवाज़ अब देश की राजनीति को झकझोर चुकी है। सोशल मीडिया पर पाबंदी और लंबे समय से जड़ जमाए भ्रष्टाचार के खिलाफ भड़की इस लहर ने इतना जोर पकड़ा कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा। हालात बिगड़ते-बिगड़ते इस कदर हिंसक हो गए कि प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन तक को आग के हवाले कर दिया।

इन घटनाओं में अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक हजार से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। देश इस समय अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है और सवाल यही है कि आखिर नेपाल की बागडोर अब किसके हाथ में जाएगी। अंतरिम सरकार बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है और इसी बीच युवाओं के बीच “मोदी जैसे नेतृत्व” की मांग चर्चा का विषय बन गई है।

‘नेपाल को चाहिए मोदी जैसा प्रधानमंत्री’

आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को कई युवा नागरिकों ने अपनी राय खुलकर रखी। उनका कहना था कि मौजूदा आंदोलन ने यह साबित कर दिया है कि जनता अब चुप बैठने वाली नहीं है। एक युवक ने कहा, “सिर्फ 35 घंटे में हमने सरकार को गिरा दिया। हमें ऐसा नेता चाहिए जो देशहित को सबसे ऊपर रखे। जैसे भारत में नरेंद्र मोदी ने बीते वर्षों में बदलाव लाए हैं, वैसे ही बदलाव हम नेपाल में देखना चाहते हैं।”

युवाओं का मानना है कि अभी कुछ समय के लिए अंतरिम व्यवस्था बनेगी, लेकिन असली परिक्षा आगामी आम चुनावों में होगी।

युवाओं की राय: ‘युवा नेता ही निकाल सकता है देश को संकट से’

नेपाल के कई युवाओं का कहना है कि अब समय आ गया है कि नेतृत्व की बागडोर किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ में हो जो न सिर्फ युवा हो बल्कि समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चल सके। दीपेंद्र विश्वकर्मा नामक युवक ने कहा, “इतना बड़ा आंदोलन होने के बाद भी अगर नेता अपनी आपसी लड़ाई में उलझे रहे तो देश कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा। सभी राजनीतिक दलों को मिलकर जनता के मुद्दों पर ध्यान देना होगा।”

भारत जैसा विकास चाहता है नेपाल

एक अन्य युवा ने कहा कि नेपाल को भी भारत की तरह वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनानी चाहिए। तकनीकी और आर्थिक प्रगति तभी संभव है जब देश का नेतृत्व ऊर्जावान और दूरदर्शी व्यक्ति के हाथों में हो। कुछ युवाओं ने साफ कहा कि सुशीला कार्की प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त नहीं हैं, बल्कि धरान के मेयर बालेंद्र शाह, ऊर्जा क्षेत्र में चर्चित नाम कुलमान घीसिंग और सामाजिक कार्यकर्ता गोपी हमाल इस भूमिका के लिए कहीं ज्यादा सक्षम नेता हो सकते हैं।

ओली का इस्तीफा और आगे की राह

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को केपी शर्मा ओली ने हिंसक घटनाओं और राजनीतिक अस्थिरता के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को इस्तीफा सौंपते हुए कहा कि मौजूदा हालात में संवैधानिक समाधान ही देश को सही दिशा दे सकता है।

अब नेपाल के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या युवा नेतृत्व उभरकर देश को नई राह दिखाएगा या फिर राजनीति पुरानी परंपराओं में ही उलझी रह जाएगी।

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मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
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