भोपाल। मध्यप्रदेश के हजारों सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। नौ साल के लंबे इंतजार के बाद अब प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति (प्रमोशन) मिलने का रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस ऐतिहासिक फैसले को मंजूरी दे दी गई।
कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि इस निर्णय से वर्षों से अटकी हुई प्रमोशन प्रक्रिया दोबारा शुरू होगी और इसके साथ ही नई भर्तियों के अवसर भी खुलेंगे। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि पदोन्नति में आरक्षित वर्ग का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा और कानूनी बाधाओं से बचने के सभी उपाय किए गए हैं।
प्रमोशन के नए नियम, डीपीसी और वरिष्ठता का ध्यान
सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि पदोन्नति में किसी भी प्रकार की कानूनी अड़चन न आए। इसके लिए अग्रिम विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) का प्रावधान किया गया है। साथ ही, वरिष्ठता के क्रम को भी पूरी तरह से ध्यान में रखा जाएगा।
किसी सरकारी कर्मचारी को किन परिस्थितियों में पदोन्नति से अपात्र घोषित किया जा सकता है, यह भी नियमों में स्पष्ट कर दिया गया है। इसके अलावा, पुनर्विलोकन के लिए रिव्यू डीपीसी की व्यवस्था भी की गई है, जिससे कोई भी कर्मचारी अन्याय की स्थिति में अपना पक्ष रख सकेगा। पदोन्नति समिति को कर्मचारी की कार्यक्षमता और उपयोगिता तय करने का भी अधिकार दिया गया है।
2016 से रुकी थी प्रमोशन प्रक्रिया
मध्यप्रदेश में वर्ष 2016 से सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक लगी हुई थी। यह रोक सुप्रीम कोर्ट में लंबित आरक्षण संबंधी मामले के कारण लगी थी। सरकार ने इस मामले में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी, जिसके चलते प्रमोशन की प्रक्रिया रोक दी गई थी। इस वजह से अब तक करीब एक लाख से ज्यादा कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो चुके हैं।
सीएम के सामने दो बार हुआ प्रमोशन फॉर्मूले का प्रजेंटेशन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लगातार इस विषय को प्राथमिकता दे रहे थे। तीन महीने पहले उन्होंने सभी पक्षों से चर्चा कर पदोन्नति प्रक्रिया जल्द शुरू करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने एक विस्तृत प्रमोशन फॉर्मूला तैयार किया, जिसे मुख्यमंत्री के समक्ष दो से अधिक बार प्रजेंट किया गया। इस दौरान सपाक्स और अजाक्स के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
10 जून को हुई कैबिनेट बैठक में भी इस फॉर्मूले का मंत्रियों के सामने प्रस्तुतीकरण किया गया था। सोमवार देर रात तक मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के बीच इस मुद्दे पर गहन मंथन चलता रहा, जिसके बाद इसे मंगलवार को कैबिनेट के एजेंडे में शामिल कर हरी झंडी दे दी गई।
कैबिनेट के अन्य महत्वपूर्ण फैसले
प्रदेश में खुलेंगे 459 नए सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र
मध्यप्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 459 नए सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इनमें से 49 केंद्र प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत स्थापित किए जाएंगे। इन आंगनबाड़ी केंद्रों में 449 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 459 सहायिकाएं नियुक्त की जाएंगी। साथ ही, 26 पर्यवेक्षकों (सुपरवाइजर) की भी भर्ती होगी।
ये केंद्र विशेष रूप से सहरिया और बैगा जैसी जनजातीय आबादी वाले क्षेत्रों में खोले जाएंगे। इस योजना पर कुल 143 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें केंद्र सरकार 72 करोड़ रुपये और राज्य सरकार 70 करोड़ रुपये वहन करेगी। यह योजना 2025-26 से 2030-31 तक लागू रहेगी।
किसानों से मूंग और उड़द की खरीदी एमएसपी पर होगी
राज्य सरकार ने किसानों को राहत देते हुए घोषणा की है कि प्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी की जाएगी।
मूंग: एमएसपी – ₹8682 प्रति क्विंटल, खरीदी – 36 जिलों में
उड़द: एमएसपी – ₹7400 प्रति क्विंटल, खरीदी – 13 जिलों में
खरीदी की अवधि 7 जुलाई से 6 अगस्त तक तय की गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इसके लिए केंद्र सरकार से आवश्यक अनुमति प्राप्त हो चुकी है।
विद्युत पारेषण परियोजनाओं को मिली मंजूरी
कैबिनेट ने मध्यप्रदेश विद्युत पारेषण कंपनी की 5163 निर्माणाधीन परियोजनाओं को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है, जिससे प्रदेश की बिजली आपूर्ति व्यवस्था और मजबूत होगी।
अन्य प्रमुख घोषणाएं
उज्जैन में गंगा दशमी पर वेलनेस फेस्टिवल का आयोजन सफल रहा। अब 27 जून को रतलाम में एमएसएमई डे पर रोजगार और उद्योगों से जुड़ा बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री 7 जुलाई को लुधियाना में एमएसएमई से संबंधित सेशन में भाग लेंगे।
लाड़ली बहना योजना के तहत रक्षाबंधन के अवसर पर महिलाओं को अतिरिक्त ₹250 का विशेष उपहार मिलेगा, जिससे उन्हें इस माह कुल ₹1500 की सहायता मिलेगी।
21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस प्रदेश के सभी जिलों में मनाया जाएगा। इसमें हर जिले के मंत्री और विधायक की सहभागिता अनिवार्य होगी
मध्यप्रदेश सरकार के ये फैसले सरकारी कर्मचारियों, किसानों, महिलाओं और बच्चों सभी के लिए सकारात्मक कदम हैं। नौ साल बाद प्रमोशन प्रक्रिया शुरू होना लाखों कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत है। साथ ही, आंगनबाड़ी केंद्रों का विस्तार और किसानों को एमएसपी पर फसल खरीदी की योजना ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों को भी मजबूत करेगी।