केंद्र सरकार ने खेती-किसानी को नई दिशा देने के इरादे से एक बड़ा फैसला लिया है। बुधवार को प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को हरी झंडी दे दी गई जो आने वाले छह वर्षों तक देशभर में लागू रहेगी। इस योजना पर हर साल करीब 24,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिससे किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ भंडारण और सिंचाई जैसे जरूरी ढांचे को मजबूत किया जाएगा।
यह महत्वाकांक्षी योजना दरअसल पहले से चल रही 36 कृषि योजनाओं को मिलाकर तैयार की गई है। इसके जरिए एक ही छत के नीचे कई योजनाओं को जोड़कर किसानों को ज्यादा सुविधाएं दी जाएंगी। शुरुआत में इसे देश के 100 जिलों में लागू किया जाएगा, जहां खासतौर से फसल विविधता, कटाई के बाद फसल प्रबंधन और टिकाऊ खेती पर जोर दिया जाएगा।
कैबिनेट बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस योजना से किसानों की भंडारण क्षमता बढ़ेगी, सिंचाई का दायरा विस्तारित होगा और उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी। सरकार का अनुमान है कि इस पहल से करीब 1 करोड़ 70 लाख किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। इसके साथ ही कैबिनेट ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भी बड़ा निवेश करने का फैसला लिया है। एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) को 7,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, जिससे कंपनी की सहयोगी इकाई एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल्स लिमिटेड (NIRL) के जरिए हरित ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने यह फैसला लिया है।
सरकार ने एनएलसी इंडिया लिमिटेड को नवरत्न सीपीएसई के नियमों में भी विशेष छूट दी है। इसके तहत कंपनी को अब किसी अतिरिक्त अनुमति की जरूरत नहीं होगी और वह अकेले या किसी अन्य साझेदारी में सीधे निवेश कर सकेगी। यही नहीं, सार्वजनिक क्षेत्र की ऊर्जा कंपनी एनटीपीसी को भी नवीकरणीय ऊर्जा में 20,000 करोड़ रुपये तक के निवेश की स्वीकृति दी गई है। सरकार का मानना है कि इस फैसले से भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तेज विकास होगा और देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
इन फैसलों से साफ है कि सरकार खेती से लेकर ऊर्जा तक, हर क्षेत्र को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के मिशन पर जुटी है।