सागर जिले में इस साल का मानसून पूरी रफ्तार पकड़ चुका है। गुरुवार सुबह से जारी रिमझिम बारिश ने जहां लोगों को राहत दी, वहीं कई जगहों पर मुसीबतें भी खड़ी कर दीं। जिले में अब तक औसतन 104.7 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की जा चुकी है। लगातार हो रही बारिश के चलते शहर के कई इलाकों में जलभराव की समस्या गंभीर रूप से सामने आई है। वहीं प्रशासन ने जर्जर भवनों को लेकर भी सतर्कता बरतने की अपील की है।
कहां कितनी हुई बारिश?
भू-अभिलेख कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से अब तक जिले के विभिन्न वर्षामापी केंद्रों पर निम्नानुसार वर्षा दर्ज की गई है:
बंडा: 141.0 मिमी (सर्वाधिक)
बीना: 133.4 मिमी
केसली: 133.2 मिमी
रहली: 132.4 मिमी
गढ़ाकोटा: 123.8 मिमी
शाहगढ़: 102.0 मिमी
राहतगढ़: 96.6 मिमी
सागर शहर: 92.6 मिमी
मालथौन: 91.0 मिमी
जैसीनगर: 88.6 मिमी
खुरई: 69.3 मिमी
देवरी: 52.6 मिमी
जलभराव ने खोली नगर निगम की पोल
शहर में लगातार बारिश से बस स्टैंड, लच्छू चौराहा और परसोरिया क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। परसोरिया में तो दुकानों के अंदर तक पानी घुस गया, जिससे व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ। बस स्टैंड के पास सड़कें तालाब में तब्दील हो गईं, जिससे वाहन चालकों और राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
नगर निगम ने मानसून पूर्व सफाई के बड़े-बड़े दावे किए थे। कहा गया था कि इस बार नालियों और नालों की पूरी तरह से सफाई कर ली गई है और जलभराव की स्थिति नहीं बनेगी। लेकिन बारिश शुरू होते ही ये दावे ज़मीन पर फिसलते नज़र आए। जलभराव की तस्वीरें नगर निगम की तैयारियों की सच्चाई बयान कर रही हैं।
जर्जर इमारतों से बढ़ा खतरा, बारिश ने बढ़ाई चिंता
मानसून के सक्रिय होते ही शहर में मौजूद पुराने और जर्जर भवन एक बड़ी चिंता का कारण बन गए हैं। लगातार बारिश से इन इमारतों की दीवारों में सीलन और दरारें आने लगी हैं, जिससे इनके कभी भी ढह जाने का खतरा मंडराने लगा है। शहर के कई क्षेत्रों में ऐसी पुरानी इमारतें वर्षों से बिना मरम्मत के खड़ी हैं, जो अब बारिश के कारण और अधिक कमजोर हो गई हैं।
प्रशासन ने चेताया है कि बारिश के मौसम में ऐसी इमारतों में रहना जान जोखिम में डालने जैसा है। पिछले वर्षों में कई बार ऐसी इमारतें गिरने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें जान-माल का नुकसान हुआ है। इसलिए इस बार प्रशासन किसी भी अनहोनी से पहले लोगों को सतर्क कर रहा है।
जिन परिवारों के घर बहुत पुराने हैं। या जिनके भवनों में दरारें, सीलन या ढहने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। उन्हें चाहिए कि वे स्वयं सतर्क रहें और आवश्यक हो तो अस्थायी रूप से किसी सुरक्षित स्थान पर शरण लें। किसी भी प्रकार की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है।
नगर निगम की टीमों द्वारा ऐसे भवनों की पहचान भी की जा रही है और संबंधित परिवारों को जल्द ही नोटिस भी जारी किए जा सकते हैं। यदि आपके आसपास भी कोई जर्जर भवन है, तो इसकी सूचना निगम कार्यालय में दी जा सकती है ताकि समय रहते उचित कार्रवाई की जा सके।
प्रशासन और नगर निगम की अपील
जिला प्रशासन और नगर निगम ने संयुक्त रूप से नागरिकों से सावधानी बरतने की अपील की है। खासकर उन लोगों से जो जर्जर या पुरानी इमारतों में निवास कर रहे हैं। लगातार हो रही बारिश के कारण इन भवनों की हालत और बिगड़ सकती है, जिससे किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है। नगर निगम ने चेतावनी दी है कि यदि किसी भवन की दीवारों में दरारें हैं, सीलन है या वह पहले से क्षतिग्रस्त है, तो वहां रहना खतरे से खाली नहीं है।
लोगों से अपील की गई है कि ऐसे मकानों में रहने से बचें और किसी भी प्रकार की अनहोनी की स्थिति में तुरंत सुरक्षित स्थान की ओर रुख करें। साथ ही, मोहल्लों में जलभराव या नालियों के ओवरफ्लो जैसी समस्याओं को लेकर भी लोग सजग रहें। निगम का कहना है कि बारिश के इस मौसम में थोड़ी सी लापरवाही भी बड़े नुकसान में बदल सकती है।
नगर निगम ने यह भी दोहराया है कि शहरवासियों को अपने घरों के आसपास साफ-सफाई बनाए रखनी चाहिए, ताकि गंदगी और रुके हुए पानी से मच्छर या अन्य हानिकारक जीव-जंतुओं का प्रकोप न फैले। यह न केवल जलभराव की समस्या को कम करेगा बल्कि बीमारियों से बचाव में भी मदद करेगा।