MP : IAS संतोष वर्मा की बढ़ीं मुश्किलें, फर्जी कोर्ट आदेश मामले में टाइपिस्ट गिरफ्तार
इंदौर। ब्राह्मण बेटियों को लेकर की गई अभद्र टिप्पणी के बाद विवादों में आए मध्य प्रदेश के IAS अधिकारी संतोष वर्मा की पदोन्नति से जुड़े फर्जी कोर्ट आदेश मामले में इंदौर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस प्रकरण में आरोपित कोर्ट कर्मचारी नीतू सिंह चौहान को गुरुवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसे बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था, इसी दौरान गिरफ्तारी की गई। बाद में उसे अदालत में पेश कर दो दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, जिस समय कथित फर्जी निर्णय टाइप किए गए थे, उस समय नीतू सिंह चौहान इंदौर के स्पेशल जज विजेंद्र रावत की अदालत में टाइपिस्ट के पद पर पदस्थ था। वर्तमान में वह इंदौर के कुटुंब न्यायालय में कार्यरत है। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस को अदालत परिसर में वकीलों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। कई अधिवक्ताओं ने कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए न्यायिक प्रक्रिया के उल्लंघन का आरोप लगाया।
इस मामले की जांच के लिए पहले से गठित विशेष जांच दल (SIT) ने वर्ष 2021 में पेन ड्राइव और तत्कालीन जज विजेंद्र रावत के कंप्यूटर सिस्टम को जब्त किया था। जांच के दौरान पेन ड्राइव से दोनों कथित अदालती निर्णयों की प्रतियां बरामद हुई थीं। एसीपी कोतवाली विनोद दीक्षित ने बताया कि शुरुआती जांच और उपलब्ध साक्ष्यों से यह संकेत मिले हैं कि फर्जी आदेश नीतू सिंह चौहान ने ही टाइप किए थे।
पुलिस के अनुसार, IAS पदोन्नति के लिए संतोष वर्मा ने शासन को अदालत के दो अलग-अलग निर्णय प्रस्तुत किए थे। पहले आदेश में मामले के समझौते के आधार पर समाप्त होने की बात कही गई थी, जबकि पदोन्नति नियमों में समझौते को मान्य नहीं माना जाता। इसके बाद दूसरा निर्णय प्रस्तुत किया गया, जिसमें संतोष वर्मा को स्वयं को अदालत से दोषमुक्त बताया गया था।
हालांकि, अदालत के रिकॉर्ड में इस दूसरे निर्णय का कोई उल्लेख नहीं मिला। एसीपी दीक्षित के मुताबिक, संतोष वर्मा से पूछताछ और उनके हस्ताक्षर के नमूने लेने की प्रक्रिया अभी बाकी है, लेकिन वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। ऐसे में पुलिस उनकी अग्रिम जमानत निरस्त कराने के लिए अदालत का रुख भी कर सकती है।








