अब समय पर मिलेगा आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन, सरकार ने तय की सख्त डेडलाइन
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के आउटसोर्स कर्मचारियों (Outsource Employees Salary) के हित में बड़ा कदम उठाया है। अब सभी आउटसोर्स कर्मियों को हर महीने 7 से 10 तारीख तक वेतन मिलना अनिवार्य कर दिया गया है। तय समयसीमा का पालन न करने वाली आउटसोर्स एजेंसियों के खिलाफ श्रम विभाग सख्त कार्रवाई करेगा। यह पहली बार है जब सरकार ने वेतन भुगतान के लिए स्पष्ट डेडलाइन तय की है। इस फैसले से सरकारी विभागों, निगम-मंडलों, बिजली कंपनियों और उपक्रमों में कार्यरत तीन लाख से ज्यादा आउटसोर्स कर्मियों को सीधा लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी गाइडलाइन
लंबे समय से आउटसोर्स कर्मचारियों की सबसे बड़ी परेशानी समय पर वेतन न मिलना रही है। कई एजेंसियां महीनों तक सैलरी रोककर रखती थीं, जिससे कर्मचारियों को अपने परिवार का खर्च चलाने में कठिनाइयां झेलनी पड़ती थीं। इतना ही नहीं, कई बार एजेंसियां बिना कारण बताए कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त कर देती थीं।
इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल से विस्तृत फीडबैक लिया और श्रम विभाग को गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए। अब इन निर्देशों को औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है।
किसे कब तक मिलेगा वेतन ?
नई गाइडलाइन के अनुसार एजेंसियों के लिए स्पष्ट समयसीमा तय की गई है:
1000 तक कर्मचारी रखने वाली एजेंसियां – इन्हें अपने सभी कर्मियों को हर महीने की 7 तारीख तक वेतन देना अनिवार्य होगा।
1000 से अधिक कर्मचारी रखने वाली एजेंसियां – इन्हें 10 तारीख तक सभी कर्मचारियों को भुगतान करना होगा।
इस व्यवस्था से वेतन में होने वाली अनावश्यक देरी पर रोक लगेगी और कर्मचारियों को समय पर आर्थिक सुरक्षा मिल सकेगी।
शिकायत करने का आधिकारिक माध्यम
यदि कोई एजेंसी गाइडलाइन का पालन नहीं करती है या भुगतान में गड़बड़ी करती है, तो प्रभावित कर्मचारी सीधे शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकार ने अधिकृत व्हाट्सऐप नंबर 0755-2555582 जारी किया है। श्रम विभाग ने साफ किया है कि सभी शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी और जिम्मेदार एजेंसियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
आउटसोर्स कर्मियों के लिए राहत की पहल
राज्य में लगभग तीन लाख आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं, जो स्वास्थ्य, बिजली, प्रशासन, परिवहन और अन्य कई सेवाओं में अहम भूमिका निभाते हैं। सरकार का मानना है कि इन कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलना न केवल उनके जीवन पर असर डालता है बल्कि कामकाज की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
नई व्यवस्था लागू होने से उम्मीद है कि कर्मचारियों को स्थिरता और भरोसा मिलेगा, साथ ही आउटसोर्सिंग प्रणाली पर भी पारदर्शिता बढ़ेगी।