सागर। जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट संदीप जी.आर. ने सख्त कार्रवाई करते हुए उन पंचायत सचिवों और अधिकारियों पर आर्थिक दंड लगाया है, जिन्होंने अपने दायित्वों का समय पर निर्वहन नहीं किया और निर्धारित अवधि के भीतर प्रकरणों का निराकरण नहीं किया।
कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के अनुसार, बंडा, रहली, केसली, मालथौन, जैसीनगर, शाहगढ़ और देवरी जनपद की अनेक ग्राम पंचायतों में कार्यों में लापरवाही बरती गई। समयसीमा के भीतर प्रकरणों का निस्तारण न करने पर जनपद रहली के सीईओ रामगुलाम अहिरवार सहित 30 से अधिक पंचायत सचिवों को जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
जिन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है उनमें बंडा जनपद की ग्राम पंचायत साजी के सचिव रामकुमार चौबे, ग्राम पंचायत कुल्ल के सचिव हंसराम दुबे, ग्राम पंचायत कोठिया की सचिव खुशबू सिंह ठाकुर, ग्राम पंचायत गनयारी के सचिव हरिदास अहिरवार, ग्राम पंचायत फतेहपुर के सचिव वीरसिंह लोधी प्रमुख हैं। इसी तरह देवरी क्षेत्र की ग्राम पंचायत रायखेड़ा के सचिव दीपक खटीक, रहली जनपद की ग्राम पंचायत रतनपुरा के सचिव सलामत खान, ग्राम पंचायत हिनौती के सचिव राकेश अहिरवार, ग्राम पंचायत रजवांस के सचिव लालसिंह लोधी, ग्राम पंचायत संजरा के सचिव हरगोविंद यादव, ग्राम पंचायत किशनगढ़ के सचिव बलवंत सिंह लोधी शामिल हैं।
इसी क्रम में केसली जनपद की ग्राम पंचायत बेडार पिपरिया के सचिव यशवंत सिंह, पठाखुर्द के देवेन्द्र सिंह राजपूत, पटनाखुर्द के प्रीतम सिंह कुर्मी, तेंदूडाबर के रमाकांत पचौरी, तुलसीपार के निरंजन खरे, सिंगपुर सतगुंवा के रूपसिंह राजपूत पर भी दंडात्मक कार्रवाई की गई है।
मालथौन क्षेत्र में ग्राम पंचायत खटौरा के सचिव रामचरन राय, ललोई के विजय सिंह राजपूत, सागौनी के अखिलेश जैन, जैसीनगर जनपद के डुंगरिया के सचिव सुरेंद्र सिंह, बांसा के संतोष ठाकुर, शाहगढ़ जनपद के सादमपुर सचिव रविंद्र सिंह, नारपोह के लखनलाल यादव, बटउवाहा के बालकिशन विश्वकर्मा, उजनेठी के रामस्वरूप अहिरवार, रुरावन के माधव लोधी, मुडारी बुजुर्ग के अजय सिंह लोधी और भीकमपुर के पवन जैन को भी जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही का दोषी पाया गया है।
अधिनियम का उल्लंघन
मध्यप्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010 के तहत द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी ने यह कार्रवाई की है। आदेश में उल्लेख किया गया है कि संबंधित सचिवों को पहले भी समयसीमा में प्रकरणों का निस्तारण करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसके बाद भी अनुपालन नहीं किया गया। इतना ही नहीं, जब कारण बताओ नोटिस जारी किया गया तो भी कोई संतोषजनक जवाब प्राप्त नहीं हुआ।
यह कृत्य अधिनियम की धारा 7(क) का सीधा उल्लंघन है। सचिवों पर यह आरोप सिद्ध हुआ कि उन्होंने आवेदनों को जानबूझकर लंबित रखा और समय पर निस्तारित नहीं किया।
तीन दिन में जमा करनी होगी राशि
कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी संबंधित सचिव और अधिकारी तीन दिन के भीतर निर्धारित जुर्माना राशि जमा करें। आदेश का पालन न करने की स्थिति में आगे और कठोर कार्रवाई की जा सकती है।








