देव उठनी एकादशी से शुरू हुआ विवाह सीजन
देव उठनी एकादशी के साथ प्रदेश में विवाह समारोहों का शुभ मौसम आरंभ हो गया है। इसी अवसर पर योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग ने एक महत्वपूर्ण अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत अब प्रत्येक विवाह का पंजीयन सुनिश्चित किया जाएगा। विभाग का उद्देश्य है कि किसी भी नवविवाहित जोड़े को भविष्य में कानूनी या प्रशासनिक दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
सभी जिलों को मिले निर्देश
विभाग ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं कि अपने-अपने क्षेत्रों में होने वाले विवाहों का शत-प्रतिशत पंजीयन सुनिश्चित करें। अधिकारियों का मानना है कि यह व्यवस्था न केवल दस्तावेजी पारदर्शिता बढ़ाएगी, बल्कि सामाजिक और कानूनी सुरक्षा भी मजबूत करेगी।
विवाह स्थल पर ही मिलेगा प्रमाण-पत्र
आयुक्त, आर्थिक एवं सांख्यिकी विकास मिश्रा ने बताया कि सरकार की मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री निकाह योजना और अन्य सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के दौरान विवाह स्थल पर ही पंजीयन प्रमाण-पत्र देने का प्रस्ताव रखा गया है। यह कदम विवाह के तुरंत बाद दस्तावेजों की औपचारिकता पूरी करने में सहायक होगा।
उन्होंने कहा कि कई बार विवाह पंजीकरण न होने की वजह से विशेष रूप से महिलाओं को अपने पति की मृत्यु के बाद संपत्ति या स्वत्व से जुड़े मामलों में कानूनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस नई पहल से ऐसी परेशानियों का स्थायी समाधान संभव होगा।
संस्थाओं से सहयोग और जनजागरूकता पर जोर
आयुक्त मिश्रा ने सामूहिक विवाह आयोजन कराने वाली संस्थाओं से इस जनजागरूकता अभियान में सक्रिय सहयोग करने की अपील की है। साथ ही, यह भी निर्देश दिए गए हैं कि शादी हॉल, मैरिज गार्डन और सार्वजनिक स्थलों पर विवाह पंजीकरण की अनिवार्यता से संबंधित होर्डिंग और सूचना बोर्ड लगाए जाएं, ताकि आमजन तक यह संदेश व्यापक रूप से पहुंच सके।
इस पहल के माध्यम से सरकार का लक्ष्य न केवल सभी विवाहों को आधिकारिक रूप से दर्ज करना है, बल्कि समाज में वैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी है। इससे भविष्य में किसी भी दंपत्ति को कानूनी अड़चनों का सामना नहीं करना पड़ेगा और विवाह प्रणाली अधिक पारदर्शी बनेगी।








