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दिल्ली धमाके का MP से कनेक्शन: आरोपी प्रोफेसर से जुड़ा फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी का चेयरमैन, MP पुलिस जांच में जुटी

दिल्ली में हुए हालिया धमाके ...

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दिल्ली में हुए हालिया धमाके की जांच अब मध्य प्रदेश के महू तक पहुँच गई है। जांच एजेंसियों को पता चला है कि ब्लास्ट के मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी, जो फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे, उसी विश्वविद्यालय से जुड़ा एक बड़ा नाम जवाद अहमद सिद्दीकी मूल रूप से महू का निवासी है। यही सिद्दीकी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन और कुलाधिपति हैं।

यूनिवर्सिटी से जुड़े कई नाम जांच के घेरे में

जानकारी के अनुसार, डॉ. उमर नबी ने हाल ही में अपनी I-20 कार में विस्फोटक सामग्री के साथ खुद को उड़ा लिया, जिससे यह पूरा मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया। वहीं, उसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले डॉ. मुजम्मिल शकील को विस्फोटक रखने और छिपाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी को अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट संचालित करता है, जिसकी स्थापना स्वयं जवाद अहमद सिद्दीकी ने की थी। शुरुआती दौर में इस संस्थान की शुरुआत एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी, जो बाद में एक पूर्ण विश्वविद्यालय में परिवर्तित हो गई।

जांच एजेंसियों के अनुसार, डॉ. मुजम्मिल, उमर मोहम्मद और शाहीन शाहिद पहले अल-फलाह अस्पताल से जुड़े हुए थे, जो इसी ट्रस्ट द्वारा संचालित है। इससे यह शक और गहरा हो गया है कि नेटवर्क पहले से ही ट्रस्ट की विभिन्न शाखाओं से फैला हुआ था।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी का सफाई भरा बयान

घटनाक्रम के बाद बुधवार को अल-फलाह यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पहली बार इस मामले पर आधिकारिक बयान जारी किया।
वाइस चांसलर प्रोफेसर भूपिंदर कौर आनंद ने स्पष्ट कहा—

हमारे दो डॉक्टर्स, डॉ. मुजम्मिल और शाहीन सईद, पुलिस हिरासत में हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी का उनके निजी कार्यों या इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। हमारे परिसर में न तो कोई केमिकल स्टोर किया जाता है और न ही किसी विस्फोटक सामग्री का उपयोग होता है। लैब केवल MBBS छात्रों की पढ़ाई और ट्रेनिंग के लिए प्रयोग की जाती है। संस्थान का हर काम कानून के दायरे में होता है।

निवेश कंपनी घोटाले के बाद दिल्ली भागा था जवाद सिद्दीकी

जांच में यह भी सामने आया है कि जवाद सिद्दीकी ने अपने करियर की शुरुआत “अल-फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी” के नाम से की थी। बताया जाता है कि उन्होंने लोगों को उच्च मुनाफे का लालच देकर बड़ी मात्रा में निवेश कराया। लेकिन 2001 में आर्थिक गड़बड़ी सामने आने के बाद वे परिवार सहित महू छोड़कर दिल्ली चले गए।
वहीं, फरीदाबाद में उन्होंने अल-फलाह कॉलेज की स्थापना की, जो बाद में अल-फलाह यूनिवर्सिटी बन गया। 

महू में सन्नाटा, बंद मिला घर

महू पुलिस ने भी अब जवाद सिद्दीकी और उसके परिवार से जुड़े पुराने रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिए हैं।
एडिशनल एसपी रूपेश द्विवेदी ने बताया कि—

जवाद का परिवार करीब 25 साल पहले तक महू के कायस्थ मोहल्ले में रहता था। उसके पिता मोहम्मद हम्माद सिद्दीकी, शहर के काजी रह चुके हैं। जवाद के दो भाई यहीं पढ़े-लिखे हैं, जबकि उसका सौतेला भाई अफाम हत्या के एक मामले में जेल जा चुका है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में जवाद का महू वाला घर पूरी तरह बंद है और मुख्य गेट पर ताला लटका मिला।

आईजी ने भी ली जानकारी, रिकॉर्ड खंगालने की प्रक्रिया शुरू

आईजी ग्रामीण जोन अनुराग सिंह ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए मिली है।

हमने स्थानीय स्तर पर जांच शुरू कर दी है। जवाद और उसके परिवार से संबंधित सभी पुराने रिकॉर्ड जुटाए जा रहे हैं,
उन्होंने बताया।

मौलाना की बिल्डिंग के नाम से प्रसिद्ध है जवाद का घर

महू में जवाद सिद्दीकी का चार मंजिला मकान अब भी मौजूद है, जिसमें करीब 25 से अधिक खिड़कियाँ और एक बड़ा तलघर है। 1990 के दशक में बना यह मकान स्थानीय लोगों के बीच ‘मौलाना की बिल्डिंग’ के नाम से प्रसिद्ध है।
यह घर जवाद के पिता मोहम्मद हम्माद सिद्दीकी के नाम पर पंजीकृत है, जिनका 1995 में निधन हो गया था।

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मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
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