मालथौन। जिला प्रशासन की पायलट प्रोजेक्ट योजना और एनएचएआई की सतर्कता के दावे एक बार फिर धरातल पर कमजोर पड़ते दिखे हैं। जिले के प्रमुख हाइवे मालथौन-बीना-सागर-झांसी मार्ग पर इन दिनों गायों और आवारा मवेशियों का ऐसा जमावड़ा लग रहा है कि सड़कें हादसों के लिए मानो आमंत्रण बन चुकी हैं।
गुरुवार शाम मालथौन के पास नेशनल हाईवे-44 पर एक दर्दनाक हादसे में चार गायों की मौके पर ही मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दिल्ली की ओर से आ रहे एक अज्ञात तेज़ रफ्तार वाहन ने सड़क पर बैठी गायों को टक्कर मारी और बिना रुके मौके से भाग निकला। हादसा इतना भयानक था कि एक गाय को करीब 500 मीटर तक घसीटते हुए ले गया।
दुर्घटना की सूचना मिलते ही मालथौन थाना पुलिस मौके पर पहुंची और एनएचएआई अधिकारियों को सूचित कर शवों को सड़क से हटवाया, जिससे आवागमन फिर से सुचारु हो सका। फिलहाल पुलिस अज्ञात वाहन की तलाश में जुटी है।
इस हादसे ने जिला प्रशासन और एनएचएआई के उन तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है, जिनमें कहा गया था कि हाइवे पर मवेशियों की आवाजाही पर नियंत्रण के लिए विशेष कार्रवाई की जा रही है। लेकिन हकीकत यह है कि यह कार्रवाई सोशल मीडिया की तस्वीरों तक सीमित रह गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा पशुओं की कोई ठोस व्यवस्था न होने के कारण लोग मवेशियों को हाइवे पर छोड़ रहे हैं, जिससे आए दिन हादसे हो रहे हैं। प्रशासन की ओर से न तो कोई स्थायी समाधान सामने आया है, न ही इन मवेशियों को गौशालाओं में शिफ्ट करने को लेकर कोई सख्ती दिख रही है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कलेक्टर की पायलट योजना सिर्फ कागजों और कैमरों तक ही सिमट कर रह गई है? और यदि हां, तो इसकी कीमत क्या अब बेजुबान जानवरों और आम लोगों को अपनी जान देकर चुकानी होगी ?








