सागर। “जब जब युवा बोला है सिंहासन डोला है !,घोटाले वाले होश में आओ छात्र शक्ति से ना टकराओ ! जैसे नारे गूंजे, जब मंगलवार दोपहर 12 बजे के करीब सैकड़ों युवा कलेक्टर कार्यालय के सामने जुटे। हाथों में तख्तियां, माथे पर उम्मीद और गले में ग़ुस्से का स्वर लिए ये छात्र सिर्फ एक मांग को लेकर निकले थे। सरकारी नौकरियों की प्रतियोगी परीक्षाएं समय पर, पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से कराई जाएं।
बिना किसी संगठन के झंडे, बैनर या राजनीतिक समर्थन के ये युवा सिर्फ अपने हक़ की बात कहने आए थे। भीड़ में अधिकतर वे छात्र थे, जो सालों से SSC, रेलवे, व्यापम (अब ESB) जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन इन सबका दर्द एक ही था “पेपर होते नहीं, और जब होते हैं तो लीक हो जाते हैं।”
राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंचाई आवाज़
छात्रों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी जिला प्रशासन को सौंपा। इसमें उन्होंने साफ कहा है कि अगर परीक्षाओं को लेकर लापरवाही यूं ही चलती रही, तो करोड़ों युवाओं का भविष्य अधर में लटक जाएगा। उन्होंने प्रशासन से माँग की कि वे इस विषय को राज्य और केंद्र सरकार तक गंभीरता से पहुंचाएं।
क्या हैं युवाओं की मुख्य शिकायतें ?
ज्ञापन में जिन समस्याओं को प्रमुखता से उठाया गया है, वे इस प्रकार हैं:
भर्ती कैलेंडर का अभाव: महीनों–सालों तक कोई भर्ती नहीं निकलती।
परीक्षा केंद्रों की दूरी: कई छात्रों को 500-600 किमी दूर केंद्र दिए जाते हैं।
तकनीकी गड़बड़ियाँ: OTP न आना, वेबसाइट क्रैश होना, फेस रिकग्निशन फेल होना जैसी समस्याएं आम हो चुकी हैं।
नॉर्मलाइजेशन में अस्पष्टता: अंक गणना की प्रक्रिया को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं होते।
परीक्षाएं स्थगित करना: कभी भी बिना ठोस कारणों के परीक्षाएं स्थगित कर दी जाती हैं।
क्या चाहते हैं छात्र ?
छात्रों ने मांग की है कि सरकार निम्नलिखित कदम तत्काल उठाए ;
1. निश्चित और पारदर्शी परीक्षा कैलेंडर लागू किया जाए।
2. भर्ती प्रक्रिया को 9 से 12 माह के भीतर पूरा किया जाए प्रारंभिक परीक्षा से लेकर नियुक्ति तक।
3. परीक्षा केंद्रों की गुणवत्ता और तकनीकी व्यवस्थाओं की निगरानी हो।
4. प्रश्न पत्र लीक या परीक्षा रद्द होने जैसी घटनाओं पर समयबद्ध और निष्पक्ष जांच हो।
5. विश्वसनीय एजेंसियों को ही परीक्षा आयोजन की जिम्मेदारी दी जाए।
6. एक पारदर्शी शिकायत निवारण प्रणाली बनाई जाए, जिसमें छात्र अपनी बात सुरक्षित और प्रभावी ढंग से रख सकें।
गुस्सा और निराशा, दोनों साथ
इस प्रदर्शन में शामिल छात्र रवि पटेल ने कहा, हम सिर्फ नौकरी नहीं मांग रहे, हम अपना हक़ मांग रहे हैं। अगर परीक्षाएं ही समय पर न हों, तो पढ़ाई का क्या मतलब ?
वहीं एक अन्य छात्रा पूजा तिवारी ने कहा, “एक बार परीक्षा दी थी, पेपर लीक हो गया। फिर रद्द कर दिया गया। अब दो साल से नई तारीख ही नहीं आई। हम रोज़ मानसिक यातना झेलते हैं।”
प्रशासन ने दिया आश्वासन
कलेक्टर कार्यालय पहुंचे अधिकारियों ने ज्ञापन स्वीकार करते हुए प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को गंभीरता से लिया जाएगा और उच्च स्तर तक भेजा जाएगा।
यह प्रदर्शन सिर्फ एक ज्ञापन देने की औपचारिकता नहीं थी, बल्कि उस युवा भारत की आवाज़ थी जो पढ़ तो रहा है, लेकिन आगे बढ़ नहीं पा रहा। कक्षा में पसीना बहाने वाला छात्र आज सड़क पर आंसू बहा रहा है।
अब देखना यह है कि शासन और प्रशासन इस आवाज़ को सिर्फ कागज़ों में दबा देते हैं, या सच में इसके पीछे की चीख़ को सुनते हैं।