शाहगढ़। जनपद पंचायत शाहगढ़ में पिछले करीब बीस दिनों से मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) की गैरमौजूदगी ने पूरे पंचायत क्षेत्र की रफ्तार को धीमा कर दिया है। नई पदस्थापना के बाद पूजा सोलंकी ने सीईओ का कार्यभार तो संभाला था, लेकिन महज चार दिन बाद ही वे अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के लापता हो गईं। इस बात की जानकारी न तो जनपद अध्यक्ष मनीष यादव को थी और न ही जिला पंचायत सीईओ विवेक केवी को।
सीईओ की लगातार अनुपस्थिति और पंचायत कर्मचारियों के हालिया तबादलों ने हालात को और बिगाड़ दिया है। जिन कर्मचारियों का तबादला हुआ वे नई जगह चले गए हैं। लेकिन उनकी जगह अब तक किसी को भेजा नहीं गया। नतीजतन कई पंचायतों में दफ्तरों के ताले ही बंद हैं और जरूरी योजनाएं कागजों में ही अटकी पड़ी हैं।
पंचायतों में कर्मचारी न होने से न सिर्फ विकास परियोजनाएं लटकी हुई हैं, बल्कि शासन की कई अहम योजनाएं भी सही समय पर धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। कुछ कर्मचारियों ने तो बीमारी का हवाला देकर भी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। इसका सीधा खामियाजा गांवों के लोगों को उठाना पड़ रहा है।
इधर, पंचायतों में वित्तीय कामकाज भी बुरी तरह प्रभावित हो गया है। कई भुगतान और जरूरी फाइलें सिर्फ सीईओ के दस्तखत के इंतजार में अटकी हैं। प्रमाण पत्र जरूरी दस्तावेज और अन्य नागरिक सेवाएं भी लोगों को समय पर नहीं मिल पा रही हैं, जिससे आमजन को दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
पंचायतों के सरपंच सचिव और दर्जनों हितग्राही इस समस्या को लेकर जिला पंचायत सीईओ विवेक केवी से मिल चुके हैं। उन्होंने साफ कहा है कि जब तक जल्द से जल्द नई पदस्थापनाएं नहीं की जाएंगी तब तक पंचायतों का कामकाज पटरी पर नहीं आ सकेगा। हितग्राहियों ने मांग की है कि जिम्मेदार अधिकारी तुरंत संज्ञान लें और रिक्त पदों पर कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित करें।
इधर सीईओ पूजा सोलंकी के लगातार गैरहाजिर रहने पर जिला पंचायत सीईओ विवेक केवी ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। बताया गया कि जल गंगा संवर्धन जैसे अहम कार्यक्रम भी उनकी अनुपस्थिति के चलते प्रभावित हुए हैं। सरपंचों, सचिवों और कुछ लाभार्थियों की शिकायत के बाद यह कदम उठाया गया है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस लापरवाही पर क्या कार्रवाई करता है और कब तक पंचायतों में विकास की रफ्तार दोबारा पकड़ेगी।
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