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दीपावली 2025 : ज्योतिषीय, पौराणिक और तांत्रिक दृष्टि से दीपावली, जब ब्रह्मांड देता है धन और यश का वरदान

दीपावली लक्ष्मी प्राप्ति का पावन ...

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दीपावली लक्ष्मी प्राप्ति का पावन अवसर – प्रकाश से समृद्धि की ओर
दीपावली, जिसे कार्तिक_अमावस्या के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म में प्रकाश का महापर्व है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छाई की जीत और अज्ञान पर ज्ञान की प्रतीक है। इस रात्रि को मां लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह वह समय है जब देवी घर-घर विचरण करती हैं और स्वच्छ, उज्ज्वल मन वाले भक्तों को धन, यश, वैभव और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। डॉ अनिल दुबे वैदिक ने ज्योतिषीय, पौराणिक और तांत्रिक आधार पर गहन विश्लेषण किया, जिसमें वेद, पुराण, उपनिषद और खगोलीय गणित के प्रमाणित तथ्यों का समावेश होगा।

ज्योतिषीय_आधार_पर_दीपावली का गहन विश्लेषण: ग्रहों की स्थिति और लक्ष्मी कृपा
ज्योतिष शास्त्र में दीपावली को कार्तिक अमावस्या के रूप में परिभाषित किया गया है, जो चंद्रमा_की_अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। खगोलीय गणित के अनुसार, अमावस्या वह समय है जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आकर संयुक्त होते हैं, जिससे अंधकार की अधिकता होती है। वेदों में, जैसे ऋग्वेद (10.129) में, इस खगोलीय घटना को ‘नासदीय_सूक्त’ में वर्णित किया गया है जहां अंधकार से प्रकाश की उत्पत्ति होती है – “तमा आसीत् तमसा गूळ्हमग्‍रे” (अंधकार में अंधकार छिपा था)। यह सूक्त बताता है कि अमावस्या की रात्रि में ग्रहों की ऊर्जा विशेष रूप से शक्तिशाली होती है, विशेषकर शुक्र_ग्रह (जो लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करता है) की दृष्टि से।

विवेचनात्मक अध्ययन: ज्योतिषीय रूप से, कार्तिक मास में सूर्य_तुला_राशि में होता है, जो संतुलन और समृद्धि का प्रतीक है। यदि कुंडली में शुक्र बलवान हो, तो इस रात्रि पर पूजा से धन प्राप्ति निश्चित होती है। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी की जन्मकुंडली में द्वितीय_या_एकादश_भाव_में_शुक्र हो, तो लक्ष्मी पूजा से यश और वैभव की वृद्धि होती है। खगोलीय गणित से सिद्ध है कि अमावस्या पर चंद्रमा की शून्य कला होने से मानसिक शांति बढ़ती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। उपनिषदों में, जैसे बृहदारण्यक उपनिषद (4.4.23) में, इस खगोलीय संयोग को आत्मा की जागृति से जोड़ा गया है – जहां अंधकार से ज्ञान का उदय होता है, ठीक वैसे ही जैसे दीपावली पर दीप जलाने से लक्ष्मी का आगमन।

यह ज्योतिषीय आधार प्रमाणित करता है कि दीपावली पर किए गए उपाय ग्रहों की दशा को अनुकूल बनाते हैं, जिससे जीवन में स्थिरता आती है।

पौराणिक_आधार_पर_दीपावली का महत्व: कथाएं, श्लोक और देवी की कृपा
पौराणिक ग्रंथों में दीपावली को लक्ष्मी प्राप्ति का सर्वोत्तम अवसर माना गया है। पद्म पुराण में वर्णित है कि कार्तिक अमावस्या पर समुद्र मंथन से लक्ष्मी का उदय हुआ, और उन्होंने विष्णु को वर चुना। यह कथा बताती है कि अमावस्या की रात्रि में देवी भ्रमण करती हैं और स्वच्छ घरों में वास करती हैं।

गहन विवेचन: स्कंद पुराण (कार्तिक_माहात्म्य) में श्लोक है – “कार्तिके कृष्णपक्षे तु अमावस्यायां विशेषतः, लक्ष्मीपूजां प्रकुर्वीत धनधान्यसमृद्धये” (कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है)। यह श्लोक प्रमाणित करता है कि इस रात्रि पर पूजा से वैभव बढ़ता है। उदाहरण के रूप में, रामायण में भगवान राम की अयोध्या वापसी अमावस्या पर हुई, जहां दीप जलाकर उत्सव मनाया गया, जो यश और स्वास्थ्य की प्रतीक है। विष्णु पुराण में लक्ष्मी को ‘चंचला’ कहा गया है, अर्थात् वे स्थिर नहीं रहतीं, लेकिन दीपावली पर सच्ची भक्ति से वे स्थिर हो जाती हैं।

उपनिषदों से प्रमाणित: मुंडक उपनिषद (2.2.6) में “तमसो मा ज्योतिर् गमय” (अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो) का मंत्र दीपावली के महत्व को रेखांकित करता है, जहां अमावस्या का अंधकार स्वास्थ्य और यश के लिए आध्यात्मिक जागृति लाता है। पौराणिक विश्लेषण से सिद्ध है कि यह पर्व न केवल धन बल्कि आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।

तांत्रिक आधार पर दीपावली का शोधात्मक विश्लेषण: मंत्र, यंत्र और रहस्यमय ऊर्जा
तांत्रिक शास्त्रों में दीपावली को ‘महारात्रि’ कहा जाता है, जहां तंत्र साधना से लक्ष्मी को आह्वान किया जाता है। तंत्र ग्रंथ जैसे ‘काली तंत्र’ में अमावस्या को काली पूजा का महत्व है, जो लक्ष्मी की ही एक रूप है, और इससे स्वास्थ्य व वैभव प्राप्त होते हैं।

अलग गहराई पूर्वक अध्ययन: तांत्रिक रूप से, अमावस्या पर चंद्रमा की ऊर्जा शून्य होने से तांत्रिक मंत्रों की शक्ति बढ़ती है। खगोलीय गणित से, इस समय पृथ्वी पर कॉस्मिक ऊर्जा का प्रवाह अधिक होता है, जो वेदों के ‘प्राण’ सिद्धांत से जुड़ा है। मंत्र उदाहरण: “ॐ ह्रीं ह्रीं महालक्ष्म्यै नमः” – इस मंत्र का 108 बार जाप तांत्रिक यंत्र (जैसे श्री यंत्र) के साथ करने से धन की वर्षा होती है। तंत्र शास्त्र में प्रमाणित है कि गाय के घी से दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।

विवेचन: पुराणों से सिद्ध तंत्र उपाय स्वास्थ्य के लिए कारगर हैं, जैसे काली पूजा से रोग निवारण। उपनिषद (छांदोग्य 3.17.4) में मंत्र जाप को ऊर्जा संचय का माध्यम बताया गया है, जो तांत्रिक आधार को मजबूत करता है।

वेद, शास्त्र, पुराण और उपनिषद से प्रमाणित तथ्यों का विस्तृत शोधात्मक विश्लेषण
वेदों में दीपावली का आधार ‘ज्योतिष’ और ‘#प्रकाश’ है। ऋग्वेद (1.164.47) का श्लोक “एकं सद् विप्रा बहुधा वदंति” बताता है कि एक ही दिव्य शक्ति (लक्ष्मी) विभिन्न रूपों में प्रकट होती है। पुराणों (पद्म पुराण) में अमावस्या को लक्ष्मी उदय का दिन माना गया। उपनिषद (#ईशावास्य) में “पूर्णमदः पूर्णमिदं” से सिद्ध है कि अमावस्या की पूर्णता में वैभव छिपा है।

गहन व्याख्या: खगोलीय गणित से, अमावस्या पर सूर्य_चंद्र_संयोग (सौर-चंद्र कैलेंडर) वेदों के ‘काल गणना’ से जुड़ा है, जो स्वास्थ्य के लिए संतुलन लाता है। शास्त्रों से प्रमाणित कि यह रात्रि यश प्राप्ति के लिए आदर्श है।

धन, यश, वैभव_और_स्वास्थ्य संबंधित 100% कारगर उपाय: प्रमाणित और चमत्कारिक
ये उपाय वेद-पुराण आधारित हैं और भक्तों द्वारा सिद्ध किए गए हैं, 100% कारगर यदि श्रद्धा से किए जाएं।

धन प्राप्ति उपाय: अमावस्या रात्रि में श्री सूक्त का पाठ करें – “#हिरण्यवर्णां_हरिणीं_सुवर्णरजतस्रजाम्”। घर के दक्षिण-पूर्व कोने में घी का दीप जलाएं। महत्व: यह शुक्र ग्रह को बलवान बनाता है, धन वर्षा करता है।

यश प्राप्ति उपाय: “ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्” मंत्र का 21 बार जाप। उदाहरण: रामायण कथा से सिद्ध कि दीप जलाने से यश मिलता है।

वैभव उपाय: अष्ट लक्ष्मी पोटली बनाएं (पीले चावल, कमल गट्टा, लौंग) और पूजा में रखें। तांत्रिक रूप से, यह वैभव स्थिर करता है।

स्वास्थ्य उपाय: “ॐ धन्वंतरये नमः” मंत्र जाप के साथ नींबू के छिलके में सरसों तेल का दीप जलाएं। पौराणिक: धन्वंतरि अमावस्या पर प्रकट हुए, रोग निवारण करते हैं।

ये उपाय खगोलीय और शास्त्रीय आधार पर 100% कारगर हैं, जीवन को समृद्ध बनाते हैं। दीपावली की शुभकामनाएं !
डॉ अनिल दुबे वैदिक देवरी बिछुआ 9936443138

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