सागर /बीना। कृषि उपज मंडी में शनिवार को उस समय हंगामे के हालात बन गए जब किसानों को अचानक सूचना मिली कि उनकी निर्धारित बैठक रद्द कर दी गई है। नाराज किसानों ने इसका कड़ा विरोध करते हुए मंडी का मुख्य गेट बंद कर दिया और धरने पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने मंडी प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर सख्त रुख अपनाया।
बैठक रद्द होने से भड़के किसान
कृषि उपज मंडी में दोपहर 12 बजे एक महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित थी, जिसमें मंडी बोर्ड के अधिकारी आर.पी. चक्रवर्ती, व्यापारी, किसान संगठन के प्रतिनिधि और अधिकारी शामिल होने वाले थे। इस बैठक में तौल और हम्माली (मजदूरी शुल्क) से जुड़ी शिकायतों पर चर्चा की जानी थी।
सागर, खुरई और बीना से बड़ी संख्या में किसान समय पर मंडी पहुंचे थे, लेकिन बैठक शुरू होने से कुछ ही मिनट पहले प्रशासन की ओर से इसे रद्द करने की सूचना दे दी गई। इस अचानक फैसले से किसान भड़क उठे। उनका कहना था कि यह पहली बार नहीं है — बार-बार बैठकों का स्थगित होना उनके समय, श्रम और खर्च की बर्बादी है।
मंडी प्रशासन पर लगे अवैध वसूली के आरोप
आक्रोशित किसानों ने मंडी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनसे 16.20 रुपये प्रति क्विंटल की अवैध हम्माली वसूली की जा रही है। किसानों ने इसे तुरंत रोकने की मांग की और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग रखी।
उन्होंने मंडी सचिव कमलेश सोनकर पर भी आरोप लगाया कि वे कुछ व्यापारियों को अनुचित लाभ पहुंचा रहे हैं और बिना लाइसेंस चल रही अवैध तौल दुकानों पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। किसानों का कहना था कि मंडी में पारदर्शिता की कमी के कारण उन्हें लगातार नुकसान झेलना पड़ रहा है।
किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी
किसानों ने साफ कहा कि यदि उनकी मांगों पर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में वे जिलेभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस धरने में किसान नेता सीताराम ठाकुर, प्रतिपाल सिंह ठाकुर, अरविंद पटेल, अनिरुद्ध सिंह ठाकुर समेत बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।
प्रशासन की दखल के बाद खत्म हुआ धरना
मंडी गेट बंद होने से करीब दो घंटे तक वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बाधित रही। स्थिति को संभालने के लिए तहसीलदार डॉ. अंबर पंथी मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों से चर्चा की और वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श के बाद अगली बैठक की नई तारीख तय करने का आश्वासन दिया। प्रशासन के इस वादे के बाद किसानों ने धरना समाप्त किया।
इस घटना ने एक बार फिर मंडी प्रबंधन की कार्यप्रणाली और किसानों की समस्याओं को उजागर कर दिया है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी वास्तविक शिकायतों का समाधान नहीं किया जाता, वे चुप नहीं बैठेंगे। वहीं प्रशासन ने अगली बैठक में सभी मुद्दों पर गंभीर चर्चा करने का भरोसा दिया है।








