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सागर : खुरई में सीवेज लाइन निर्माण की लापरवाही उजागर,धंसी पोकलेन मशीन, 10 घंटे तक जाम रहा पठारी मार्ग

सागर/खुरई। नगर में चल रहे ...

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सागर/खुरई। नगर में चल रहे सीवेज सिस्टम निर्माण कार्य में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। शहरी थाना क्षेत्र के नीचे पठारी मार्ग पर सोमवार को सीवेज लाइन डालने के लिए भेजी गई एक पोकलेन मशीन अचानक जमीन में धंस गई। यह वही हिस्सा था, जहां कुछ दिन पहले सीवेज लाइन बिछाने के बाद मिट्टी को भरकर छोड़ दिया गया था। घटना के बाद पूरे मार्ग पर आवाजाही कई घंटों तक ठप रही।

स्थानीय लोगों ने बताया कि निजी कंपनी ने गड्ढे को भरने के बाद मिट्टी का सही तरह से संपीड़न (कंपैक्शन) नहीं किया था। ऐसी स्थिति में भारी मशीनों का भार जमीन सहन नहीं कर पाता, और यही लापरवाही पोकलेन मशीन के धंसने की वजह बनी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मशीन अचानक एक तरफ झुक गई और उसका बड़ा हिस्सा गड्ढे में फंस गया।

10 घंटे की मशक्कत, दो मशीनों की मदद से निकाली पोकलेन

घटना की सूचना मिलते ही कंपनी के कर्मचारी और मशीन ऑपरेटर मौके पर पहुंचे। बड़ी मशक्कत के बाद दो अन्य मशीनों की सहायता से करीब 10 घंटे लगे, तब जाकर फंसी हुई पोकलेन को बाहर निकाला जा सका। इस दौरान नीचे पठारी मार्ग पर ट्रैफिक लगातार प्रभावित रहा और वाहनों को अन्य रास्तों से डायवर्ट करना पड़ा।

65–70 करोड़ की परियोजना, धीमी गति बना बड़ा सवाल

खुरई नगर में यह सीवेज निर्माण परियोजना लगभग 65 से 70 करोड़ रुपये की लागत से चलाई जा रही है। निर्धारित समय सीमा 24 महीने तय की गई थी, लेकिन कार्य की रफ्तार बेहद धीमी बताई जा रही है। कई वार्डों में पाइप लाइन बिछाने के बाद मिट्टी ठीक से नहीं दबाई गई है, जिसके कारण जगह-जगह सड़कें धंस रही हैं और लोगों के घरों की ओर जाने वाले मार्ग भी खराब स्थिति में पहुंच चुके हैं।

स्थानीय निवासियों की नाराज़गी: काम बिना निगरानी के, गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं 

आसपास के लोगों ने कंपनी पर मनमर्जी से काम करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि न तो किसी सरकारी विभाग की सही निगरानी हो रही है और न ही गुणवत्ता की जांच। कई बार शिकायतें होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

निवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि अधिकारियों ने जल्द हस्तक्षेप नहीं किया, तो आने वाले दिनों में सीवेज लाइन और सड़क धंसने से जुड़े और गंभीर हादसे सामने आ सकते हैं।

यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट्स में लापरवाही न केवल निर्माण गुणवत्ता को प्रभावित करती है बल्कि जनजीवन और सुरक्षा पर भी सीधा खतरा बन जाती है।

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