सागर : मालथौन। तीन जून को बमनौरा गांव में एक आदिवासी युवक की झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से मौत के मामले में लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। पूरे 25 दिन गुजर जाने के बाद भी पुलिस अब तक आरोपी बंगाली डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई है।
घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए आरोपी का क्लीनिक तो सील कर दिया था, पंचनामा बनाकर रिपोर्ट भी पुलिस को सौंपी गई, लेकिन अब तक केस फाइलों में ही दबा पड़ा है। मृतक पलेथनी गांव का रहने वाला था, उसके परिवार के लोग अब थाने के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
दलालों का खेल, मेडिकल संचालक पर भी सवाल
कहा जा रहा है कि आरोपी जिस मेडिकल स्टोर से संदिग्ध दवाइयां लाता था, उसके संचालक ने भी मामले को दबाने के लिए एक दलाल को आगे कर दिया है। यह दलाल अस्पताल से लेकर थाने तक ‘मैनेजमेंट’ में जुटा है। चर्चा यह भी है कि खंड चिकित्सा अधिकारी के नाम पर इस दलाल ने मेडिकल संचालक से मोटी रकम भी हड़प ली है।
कलेक्टर के आदेश हवा हवाई
पिछले महीने कलेक्टर संदीप जीआर ने जिले में झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। स्वास्थ्य विभाग ने नोडल अफसर तक तैनात कर अभियान भी चलाया, लेकिन हकीकत यह है कि कुछ छोटी-मोटी क्लीनिकें तो बंद हुईं, मगर बड़े मगरमच्छ अब भी खुलेआम इलाज का खेल खेल रहे हैं।
अगर पहले ही कार्रवाई होती तो बच जाती जान
मालथौन ब्लॉक के बमनौरा, सीपुर, बेसरा, उजनेट, रोड़ा जैसे गांवों में बंगाली डॉक्टरों की क्लीनिकें किसी नर्सिंग होम से कम नहीं हैं। यहां खुलेआम मरीजों का ऑपरेशन तक किया जाता है। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते बमनौरा में इस झोलाछाप पर कार्रवाई होती तो युवक की जान बच सकती थी। अब भी हाल यह है कि ये मेडिकल यमराज गरीब गांव वालों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं।