सागर। मां के जन्मदिन को सिर्फ एक पारिवारिक उत्सव न मानकर एक जनसेवा और भक्ति का माध्यम बना देना… यह कहानी है सागर के संत रविदास वार्ड में रहने वाले मुकेश प्रजापति की, जो लगातार 22 वर्षों से अपनी मां के जन्मदिवस पर भगवान राधा-कृष्ण के झूले और पोशाकें शहरवासियों को निःशुल्क भेंट करते आ रहे हैं।
मुकेश प्रजापति पेशे से मोटरसाइकिल मैकेनिक हैं, लेकिन दिल में भगवान के प्रति अगाध श्रद्धा और मां के लिए विशेष सम्मान रखते हैं। वह पूरे वर्ष अपने काम से समय निकालकर भगवान राधा-कृष्ण के सुंदर झूले स्वयं अपने हाथों से तैयार करते हैं। और जब उनकी मां गनेशी बाई का जन्मदिन आता है, तो वह उस दिन को खास बनाते हैं—हर वर्ष दर्जनों श्रद्धालुओं को झूले और पोशाकें भेंट कर।
रविवार दोपहर 1 बजे हुआ विशेष आयोजन
इस वर्ष भी मुकेश ने रविवार दोपहर विशेष आयोजन कर लगभग डेढ़ सौ लोगों को भगवान के झूले और पोशाकें भेंट कीं। यह आयोजन अब सिर्फ एक पारिवारिक परंपरा नहीं, बल्कि शहर में श्रद्धा और सेवा का प्रतीक बन चुका है।
86 वर्षीय गनेशी बाई, जिनका आज जन्मदिवस था, भावुक होकर कहती हैं। मुझे अपने बेटे पर गर्व है। वह हर साल मेरे जन्मदिन को भगवान की सेवा और लोगों की खुशी से जोड़ देता है। जब लोग हमारे घर आकर झूले और पोशाक पाते हैं तो लगता है जैसे मेरा जन्मदिन सच में सफल हो गया।
समर्पण और साधना का अनोखा संगम
मुकेश का यह कार्य भले ही धार्मिक आस्था से प्रेरित है, लेकिन इसमें जो सेवा भाव और आत्मीयता है, वह समाज को जोड़ने वाला है। बिना किसी संस्था या चंदे के, सिर्फ अपने श्रम और संसाधनों से वह यह कार्य करते हैं।
सागर शहर में अब मुकेश प्रजापति का नाम भक्ति और जनसेवा के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। हर साल सैकड़ों श्रद्धालु उनकी प्रतीक्षा करते हैं कि कब उनका झूला और पोशाक उनके घर पहुंचेगा।
यह पहल न केवल एक बेटे के अपनी मां के प्रति प्रेम का प्रतीक है, बल्कि एक समाज को आध्यात्म और सेवा के सूत्र में पिरोने का प्रयास भी है।
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