शाहगढ़। जमीन विवाद से परेशान होकर एक किसान ने अपनी जिंदगी का अंत कर लिया। थाना क्षेत्र के ग्राम बगरोही में बुधवार की रात 65 वर्षीय किसान ज्ञानचंद जैन ने खेत में बने अपने मकान में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने गांव के लगभग डेढ़ दर्जन लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं — जिनमें मानसिक उत्पीड़न, गाली-गलौज, धमकी और जबरन जमीन कब्जाने के प्रयास जैसी बातें शामिल हैं।
सुसाइड नोट में गांव वालों पर गंभीर आरोप
पुलिस के अनुसार, सुसाइड नोट में मृतक ने लिखा है कि गांव के कुछ लोग लंबे समय से उनकी जमीन हड़पने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान उन्हें लगातार गालियां दी जाती थीं, धमकाया जाता था और झूठे विवादों में उलझाने की कोशिश की जाती थी। परिजनों का कहना है कि इन सभी कारणों से ज्ञानचंद जैन कई महीनों से गहरे तनाव में थे।
परिजनों ने बताया—कई बार की थी शिकायत
मृतक के बेटे महेश जैन ने पुलिस को बताया कि उनके पिता ने गांव के लोगों की धमकियों और उत्पीड़न की शिकायत कई बार तहसील कार्यालय और थाना शाहगढ़ में की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जमीन का विवाद करीब डेढ़ एकड़ भूमि को लेकर था, जिस पर कब्जे को लेकर कई बार तनातनी हुई थी।
खेत में बने मकान में लगाई फांसी
बुधवार रात ज्ञानचंद जैन अपने खेत के पास बने मकान में अकेले थे। परिजन जब देर रात तक कोई हलचल नहीं देख पाए तो वे वहां पहुंचे, जहां उन्हें ज्ञानचंद फांसी पर लटके मिले। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को नीचे उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
पुलिस ने शुरू की जांच, सुसाइड नोट की होगी फोरेंसिक जांच
थाना प्रभारी ने बताया कि मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी गई है। सुसाइड नोट को जब्त कर उसकी लिखावट की फोरेंसिक जांच कराई जाएगी ताकि यह स्पष्ट हो सके कि पत्र वास्तव में मृतक ने ही लिखा है या नहीं। साथ ही, जिन लोगों के नाम नोट में लिखे गए हैं, उनसे भी पूछताछ की जाएगी।
शांत स्वभाव के थे किसान, विवादों से रहते थे दूर
परिजनों के अनुसार, ज्ञानचंद जैन एक शांत और मिलनसार व्यक्ति थे। वे अपने खेत में मेहनत से खेती करते थे और किसी से अनावश्यक विवाद नहीं रखते थे। लेकिन गांव के कुछ लोगों के साथ जमीन को लेकर चल रहा झगड़ा उनके मानसिक तनाव का कारण बन गया था।
पुलिस के सामने बड़ा सवाल
घटना ने एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में जमीन विवादों और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है। सवाल यह है कि यदि समय पर अधिकारियों ने शिकायतों पर कार्रवाई की होती, तो शायद ज्ञानचंद जैन आज जिंदा होते। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है और आगे की कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है।








