भोपाल। मध्य प्रदेश में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) सर्वे अभियान के बीच सरकारी कर्मचारियों पर बढ़ते दबाव और लगातार हो रही मौतों ने चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। पिछले कुछ दिनों में प्रदेश के चार शासकीय कर्मचारियों की अलग-अलग परिस्थितियों में मौत हो चुकी है, जिनके पीछे परिवार जन काम के अत्यधिक बोझ और मानसिक तनाव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
विदिशा में महिला नायब तहसीलदार की मौत – परिवार ने SIR के दबाव को ठहराया जिम्मेदार
विदिशा जिले में नायब तहसीलदार कविता कड़ेला (24) की रविवार रात सरकारी क्वार्टर की तीसरी मंजिल से गिरकर मौत हो गई। पुलिस ने प्राथमिक रूप से इसे आत्महत्या माना है।
परिवार का कहना है कि कविता ने रात में फोन पर बताया था कि SIR सर्वे का भारी दबाव है और लगातार टारगेट पूरे करने का दबाव बनाया जा रहा है। परिजनों का आरोप है कि इसी मानसिक तनाव में उन्होंने छत से कूदकर जान दे दी।
SIR अभियान के दौरान अलग-अलग जिलों में भी कर्मचारियों की मौत की जानकारी सामने आई है।
शहडोल और बालाघाट – दो बीएलओ की मौत
सीधी – एक सहायक बीएलओ की मौत
रीवा – एक बीएलओ ब्रेन हेमरेज से गंभीर
पिछले 10 दिनों के भीतर प्रदेश में छह बीएलओ की मौत के मामले दर्ज हो चुके हैं। गंभीर स्थिति को देखते हुए चुनाव आयोग ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
उत्तर प्रदेश में भी दहला देने वाला मामला – शादी से एक दिन पहले लेखपाल ने की आत्महत्या
इसी तरह की दुखद घटना उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में सामने आई। यहाँ SIR अभियान में सुपरवाइजर की जिम्मेदारी संभाल रहे लेखपाल सुधीर कुमार ने मंगलवार सुबह घर में फांसी लगाकर जान दे दी।
बहन और मंगेतर ने आरोप लगाया कि निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) और कानूनगो लगातार उत्पीड़न और दबाव बना रहे थे, और सुधीर अक्सर फोन पर कहते थे – “काम बहुत है, अधिकारी बेवजह परेशान कर रहे हैं।”
घटना के बाद साथी लेखपालों ने प्रशासन के खिलाफ कड़ा विरोध जताया।
सुबह 8 बजे से देर रात तक शव उठाने नहीं दिया गया
लेखपाल संघ के अध्यक्ष कुलदीप पटेल ने कहा जब तक जिम्मेदार ERO पर मुकदमा दर्ज नहीं होगा, SIR सर्वे का काम बंद रहेगा।
वहीं ERO और कानूनगो से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने बयान देने से मना कर दिया या फोन बंद मिला।
बढ़ते सवाल – क्या दबावपूर्ण SIR व्यवस्था बन रही है कर्मचारियों के लिए घातक ?
लगातार हो रहे हादसों के बाद कई कर्मचारी संगठन यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या SIR सर्वे में लक्ष्य हासिल करने का दबाव मानव जीवन से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है ?
क्या कर्मचारियों को पर्याप्त सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सहायता दी जा रही है?
मामलों की बढ़ती संख्या ने यह संकेत दिया है कि प्रशासनिक व्यवस्था और कार्यदबाव में कहीं गंभीर खामी मौजूद है, जिसे तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है।
अब सभी की नज़र चुनाव आयोग की रिपोर्ट और आगामी प्रशासनिक कदमों पर है।
अगर क्विक समाधान नहीं निकला तो SIR अभियान ठप होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।








