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राजगढ़ की महिला की अनोखी बीमारी: दिनभर खाती है 60-70 रोटियां, फिर भी रहती है कमजोरी

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राजगढ़ की महिला की अनोखी बीमारी : इलाज में लाखों खर्च के बाद भी नहीं मिली राहत, परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगाई

राजगढ़ (मध्यप्रदेश)। जिले के सुठालिया कस्बे के पास स्थित नेवज गांव की 28 वर्षीय मंजू सौंधिया इन दिनों एक बेहद विचित्र बीमारी से जूझ रही हैं। उनकी हालत ऐसी है कि सुबह उठने से लेकर रात तक वह लगातार रोटियां खाती रहती हैं। परिवार के अनुसार, मंजू रोजाना 60 से 70 रोटियां खा जाती हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कमजोरी और थकान महसूस होती है। यह स्थिति पिछले तीन वर्षों से बनी हुई है, जिसने उनके ससुराल और मायके दोनों परिवारों की चिंता बढ़ा दी है।

तीन साल से बिगड़ी जिंदगी

मंजू की शादी सिंगापुरा निवासी राधेश्याम सौंधिया से हुई थी। उनके दो छोटे बच्चे हैं—एक 6 साल की बेटी और 4 साल का बेटा। शादी के शुरुआती वर्षों में मंजू पूरी तरह स्वस्थ थीं और घर-परिवार की जिम्मेदारियां संभालती थीं। लेकिन टाइफाइड की बीमारी से उबरने के बाद अचानक उन्हें यह अजीब आदत लग गई। कभी वह 20-30 तो कभी 60-70 रोटियां दिनभर में खा जाती हैं। इस वजह से वह सामान्य दिनचर्या और घरेलू कामकाज भी ठीक से नहीं कर पातीं।

इलाज के लिए कई शहरों के चक्कर

बीमारी से परेशान परिवार ने अब तक राजस्थान के कोटा और झालावाड़ से लेकर मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, राजगढ़ और ब्यावरा जैसे शहरों के अस्पतालों के चक्कर लगाए। लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद आज तक कोई स्थायी इलाज नहीं मिला। शुरुआत में ससुराल वालों ने उपचार कराया, फिर मायकेवालों ने भी प्रयास किया, लेकिन नतीजा शून्य रहा। अब हालत यह है कि दोनों परिवार आर्थिक संकट में फंस गए हैं।

डॉक्टरों की अलग-अलग राय

राजगढ़ की चिकित्सक डॉ. कोमल दांगी ने मंजू का इलाज किया था। उन्होंने बताया कि छह महीने पहले मरीज को घबराहट की शिकायत के कारण भर्ती किया गया था। बाद में कमजोरी और असामान्य खानपान को देखते हुए उन्हें मल्टीविटामिन दवाएं दी गईं। डॉ. दांगी का कहना है कि यह साइकियाट्रिक डिसऑर्डर का मामला है, जिसमें मरीज को लगता है कि उसने पर्याप्त खाना नहीं खाया है। इसलिए बार-बार रोटियां खाकर और पानी पीकर वह खुद को संतुष्ट करने की कोशिश करती है।

हालांकि जब मंजू को भोपाल के मनोचिकित्सक डॉ. आर.एन. साहू को दिखाया गया तो उन्होंने मानसिक बीमारी की संभावना से इनकार कर दिया। डॉक्टरों की इस परस्पर विरोधी राय ने परिवार को और उलझन में डाल दिया है।

दवाओं से साइड इफेक्ट, आदत छुड़ाने की सलाह

परिजनों ने बताया कि कई दवाइयों से मंजू को लूज मोशन और अन्य समस्याएं होने लगीं, जिससे उनका सेवन बंद करना पड़ा। डॉ. दांगी ने सुझाव दिया कि परिवार धीरे-धीरे मंजू की रोटी खाने की आदत कम कराए और उन्हें खिचड़ी, फल और अन्य पौष्टिक आहार देने की कोशिश करे। इससे मानसिक आदत और स्वास्थ्य दोनों में सुधार हो सकता है।

आर्थिक बोझ और सरकारी मदद का इंतजार

लगातार इलाज और दवाइयों के खर्च ने परिवार की आर्थिक स्थिति को हिला दिया है। अब तक उन्हें किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिली है। परिजन उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन या सामाजिक संस्थाएं आगे आकर मदद करें ताकि मंजू का सही उपचार संभव हो सके।

गांव और परिवार में चिंता का माहौल

मंजू की यह बीमारी न केवल उनके लिए बल्कि पूरे परिवार और गांव के लिए चिंता का कारण बन गई है। परिजन दिन-रात उनकी देखभाल में लगे रहते हैं, जबकि बच्चे मां से दूर ससुराल में रहते हैं। तीन साल से जारी इस असामान्य स्थिति ने सभी को थका दिया है।

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मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
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